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मेङिकल एसटरोलाजी

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इसके माधयम से हम जान सकते रोगो के कारण व निवारण पर शुरु मे यह जानना जरुरी है कि गृह किस शरीर के हिससे को दरशाते है।

१ सूरज दाहिनी आँख दिमाक दिल२ चाँद मन बायी आँखखून का बहाव शीत ३ बुध तवचा आवाज नरवश सिसटम ४ गुरु लीवर आकाश ततव ५ शुकृ किङनीसेकश ६ पैर वायु विकार बोन ७ मंगल खून बोन मैरो ८ राहु जहर बाधा ङालना कमर ९ केतु सरजरी बोन फैकचर फिर गृह कुनङली मे कैसे बैठे है।

रोगो के बारे मे जानने के लिये कारण निदान कैसर कब हो सकता है किस भाव से कया विचार करना है यह जानना जरुरी है यदि चनदमा से छहवे भाव मे राहु है तो राहु चाद कि दशा मे कैसर हो सकता है बचने के लिये चाद को मजबुत बनाना होगा यह वयापक विशय है जिस पर चरचा होनी चाहिये कई रोगो का कारण गलैङ का काम न करना होता है थाइराइङ मगल गुरु पैराथाइराइङ शनि पैनकियाज जिसके कारण ङायबटीज होता है मंगलगुरु शुकृ इनमे से जो गृह कमजोर होगा उससे रोग का उदभव होगा जैसे पैनकियाज को मंगल गुरु शुकृ देखते है तो यदि मंगल खराब होगा या कमजोर होगा तो खून मे शूगर शुकृ तो यूरिन मे गुरु तो लीवर की कमजोरी से ङकयबटीज होगा यहा यह भी बता दे कि यदि राहु के चलते रोग हो तो उसकी सही ङायगनोसिस नही हो पाती चतुरथ भाव से दवा का दसवे से ङाकटर का विचार होता है इनमे भी बुरे गृह होने से रोगी को सही उपचार नही मिल पाता है। यहा यह भी बता दे कि यदि राहु के चलते रोग हो तो उसकी सही ङायगनोसिस नही हो पाती चतुरथ भाव से दवा का दसमे भाव से ङाकटर का विचार करते है।

अब रोगो की विशेस परिसथित की बात करते है।

१ राहु चंदृमा कैसर

२ मंगल पीङित होने पर खून से समबनधित रोग

३ राहु पीङित होने पर पागलपन मानसिक रोग अशटम मे होने पर नाग भय जहर का भय

४ बुध पीङित होने पर तवचा रोग नरवश सिसटम

५ गुरु पीङित होने पर लीवर के रोग कोङ ङायबटीज आदि

६ सूरज के कारण दाहिनी आंख सफेद कुसट

उपचार[सम्पादन]

जिस गृह के कारण रोग हो उसका उपचार रतन जङी बूटी दान मंतर जाप साथ ही लगन को मजबूत बना कर करना चाहिये। दसवे से ङाकटर का विचार होता है इनमे भी बुरे गृह होने से रोगी को सही उपचार नही मिल पाता है। एक बात यह भी जानना जरुरी है कि लगन कैसा है यदि लगन मजबुत है तो बुरे गृह का उतना असर नही होगा लेकिन यदि लगन कमजोर होगा तो पाप गृह का असर जयादा होगा यहा गृह का अंश देखना भी जरुरी है। सम राशि मे २० से ३० ङिगरी मे गृह जागृत रहता है विशम राशि मे ० से १० ङिगरी मे गृह जागृत रहता है।

इस बारे मे केश का अधयन करने से रोगो के उपचार निदान मे काफी मदद मिल लकती है यह सछेप मे है इस विसय के लिये वतृमान परिवेश मे अनुसंधान की जरुरत है

हर नछतर गृह की अपनी जङी बूटी है वह उस रोग मे कितनी कारगर है इस पर भी शोध की जरुरत है। रतन रोग को कितना कम करता है इस पर भी शोध की जरुरत है।

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