राजा अमानी सिंह
राजा अमानी सिंह का जन्म अलीगढ़ के गहलौं गांव में हुआ था।वे इग्लास रियासत के राजा थे।वे जाट क्षत्रियो की ठकुरैल वंश में पैदा हुए थे।ठकुरैल गोत्र काकराणा की एक शाखा है।अलीगढ़ के बहुत से क्षेत्र पर उनका स्वतन्त्र राज था।
वे कुश्ती,घुड़सवारी,दोनों हाथों से तलवार चलाने व भाला चलाने में माहिर थे। उनकी घोड़ी की वीरता के किस्से भी अलीगढ़ के देहातों में सुने जा सकते हैं।कहते हैं युद्ध मे घोड़ी भी दुश्मनों को अपनी टापों से कुचल देती थी।
1857 में ब्रिटिशों के साथ युद्ध हुआ।ब्रिटिशों ने इन पर हमला किया घमासान युद्ध हुआ ब्रिटीशियन्स की हार हुई उन्होंने इगलास लगसमा खैरा और कोइल तहसील पर कब्जा कर लिया व उनकी आर्मी ने अंग्रेजो से बंदूकें छीन ली व सैंकड़ो अंग्रेजो को काट दिया।कुछ महीने तक वे वीरता से अंग्रेजो के खिलाफ संघर्ष करते रहे।
उसके बाद अंग्रेजों ने फिर उन पर हमला किया इस बार भाग्य ने अमानी सिंह का साथ न दिया।बरसात व नमी के कारण उनकी बंदूकें व हथियार निष्क्रिय हो गए। इस युद्ध मे सैंकड़ो जाट वीरों ने देश के लिए शहादत की कहानी रची।
इन युद्धों मे ठकुरैलो की बाइसी व अट्ठाइशी खाप ने भाग लिया व खाप इत्तिहास में भी एक वीरगाथा और जोड़ दी। उनकी घोड़ी ने भी अंग्रेजो को अपनी टापों के नीचे कुचला।इसलिए क़हा जाता है अमानी तो अमानी पर घोड़ी ने भी हूँ न मानी।
राजा अमानी सिंह को धोखे पकड़ लिया गया व उन पर मुकदमा चला व उन्हें फांसी दी गयी।
इस तरह एक हिंदुस्तानी वीर ने अपने देश के लिए हंसते हंसते वीरता से अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
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