राजा बलराम सिंह
राजा बलराम सिंह बल्लभगढ हरियाणा के राजा थे। इन्हें बल्लभगढ रियासत के वास्तविक संस्थापक माना जाता है। इन्होंने मुगलो से लोहा लेकर दिल्ली की नाक के नीचे एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की थी। मुगलो से कई बार छोटी छोटी लड़ाइयां लड़ी। ये जहां भी जाते थे एक ही गूंज होती थी धींग धींग बल्लू का राज। इन्होंने महाराजा सूरजमल का भी बहुत साथ दिया हर युद्ध मे आगे रहते थे।
बल्लभगढ नाम भी इन्ही के नाम पर पड़ा था। इस रियासत ने अब्दाली से भी लोहा लिया था। फरीदाबाद के स्थानीय मुगलिया अधिकारी जकरिया खान के पुत्र मीर याह्या खान को पराजित करके पलवल व फरीदाबाद के परगनों को अपने कब्जे में ले लिया। उन्होंने मुगलिया अत्याचारी मुर्जिता खान को भी युद्ध मे पराजित मौत के घाट उतार दिया था।
29 नवम्बर 1753 को मूर्तिजा खान का बेटा अवकित महमूद ने बल्लभगढ पलवल आदि के गांवों पर आक्रमण किया व हिन्दुओ को लूटा।राजा बलराम सिंह वहां पहुंच गए और और एक जोरदार युद्ध हुआ।इस युद्ध मे बलराम सिंह की जीत हुई व महमूद भाग गया।भागने से पहलर महमूद ने पीछे से वार करके राजा साहब को घायल कर दिया व भाग गया।राजा साहब घायल हो गए और कुछ घण्टो बाद उनकी मृत्यु हो गयी।
इनके ही वंशज राजा नाहर सिंह ने 1857 में अंग्रेजो से लड़ाई लड़ी थी।
ये बहुत ही धर्म परायण व वीर यौद्धा थे।
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