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राजेन्द्ररंजन चतुर्वेदी

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रसदेश
Rajendra Ranjan Chaturvedi
डॉ .राजेन्द्ररंजन चतुर्वेदी (लोकवार्ता विद और ब्रजभाषा साहित्यकार)

राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी[१] लोकवार्ता, लोकसंस्कृति, तंत्रशास्त्र और ब्रजभाषा साहित्य के साहित्यकार हैं। उनका जन्म १३ नवम्बर १९४४ को उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुआ था। उन्हें आगरा विश्वविद्यालय द्वारा "लोकवार्ता में मानव  उसका परिवेश तथा दोनों का सम्बन्ध" विषयक अनुसन्धान के लिए डीलिट (१९८७ ) और रांगेय राघव पर उनके काम के लिए पीएचडी की डिग्री (१९७३ ) से सम्मानित किया गया । उन्होंने दर्जनों पुस्तकों और पत्रिकाओं को संपादित किया है, और उनके सैकड़ों शोध पत्र भारत की प्रमुख पत्रिकाओं[२] और समाचार पत्रों[३] में प्रकाशित हुए हैं ।साँचा:उद्धरण आवाश्यक( अमर उजाला, नवभारत टाइम्स, हिंदुस्तान, दैनिक जागरण,दैनिक ट्रिब्यून, कादिम्बनी, कल्याण,साहित्य अमृत, वैचारिकी, मढ़ई, इंद्रपस्थ भारती, हरिगंधा, भोजपुरी लोक इत्यादि) लोकभाषाओं के पक्ष में उनका स्वर दूर -दूर तक गूँजा है। पं.बनारसीदास चतुर्वेदी से जनपद-आन्दोलन[४] की दीक्षा लेकर[५] उन्होंने हिन्दी की जनपदीय-भाषाओं के समर्थन के लिये अलख जगाया। उन्होंने लोकवार्ता विज्ञान को लोकतंत्र के तत्त्व बोध के रूप में प्रतिपादित किया है[६][७] डॉ चतुर्वेदी का युवावस्था से ही ब्रज साहित्य मंडल [८][९]से गहरा नाता रहा है ।

इन्दिरागांधी राष्ट्रीय कलाकेन्द्र (संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार) के जनपद-संपदा डिवीजन में “धरती और बीज[१०]” नामकी परियोजना[११] पर काम करते हुए जनपदीय-अध्ययन की आवश्यकता और महत्ता को रेखांकित किया[१२] और बताया कि परिनिष्ठित-साहित्य और शास्त्र का अध्ययन लोक के अध्ययन के बिना अधूरा है।[१३] आईजीएनसीए द्वारा प्रकाशित "लोक परंपरा" में हिंदी में यह पहली परियोजना थी और भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री के आर नारायणन के ग्रंथागार की शोभा बनी। जब लोकसंस्कृति विश्वकोश की बात उठी तो महात्मागांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दीविश्वविद्यालय,वर्धा और इन्दिरागांधी राष्ट्रीय कलाकेन्द्र ने इनको परामर्श-समिति का सदस्य मनोनीत किया। इन्दिरागांधी राष्ट्रीय कलाकेन्द्र के तत्त्वावधान में इनकी महत्त्वपूर्ण कृति रसदेश[१४] (स्वामी हरिदास जी द्वारा रचित केलिमाल) प्रकाशित हुई है[१५] । रसदेश के पहले खंड की भूमिका श्री करन सिंह और दूसरे खंड की भूमिका श्री इंद्रनाथ चौधरी ने  लिखी है।[१४] डॉ राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी, वर्तमान मेंसाँचा:कब (मार्च २०२१ से) इन्दिरागांधी राष्ट्रीय कलाकेन्द्र के तत्वावधान में एक शोध परियोजना "भारतीय लोक संस्कृति" पर काम कर रहे हैं। वह इन्दिरागांधी राष्ट्रीय कलाकेन्द्र द्वारा शुरू किए गए लोकवार्ता पर सर्टिफिकेट कोर्स के लिए विजिटिंग प्रोफेसर भी हैं और यूट्यूब और फेसबुक के माध्यम से ज्ञान के प्रचार प्रसार में संलग्न हैं।

डॉ रंजन वर्ष 2004 तक मथुरा, सासनी और पानीपत में शिक्षण पेशे से जुड़े रहे,और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से संबद्ध एसडी कॉलेज, पानीपत से सेवानिवृत्त हुए हैं। आकाशवाणी ने डॉ रंजन की कई वार्ताओं का प्रसारण किया है और बाद में उन्हें आकाशवाणी की कार्यक्रम सलाहकार समिति का सदस्य भी मनोनीत किया गया। डॉ चतुर्वेदी विद्वान होने के साथ कुलपरम्परा से दीक्षित साधक भी हैं,और अपनी परम्परा - विशेष कर अपने पिताजी से, अनुग्रह पूर्वक श्री विद्या के अनेक रहस्यों का ज्ञान प्राप्त किया है। आपकी माता श्रीमती चंदो देवी तथा पिता श्री हरिहर शास्त्री चतुर्वेदी, श्री विद्या के महान उपासक साम्राज्य दीक्षित की परम्परा में तपस्वी उपासक थे । और मातामह श्री अयोध्या नाथ जी महाराज विष्णुस्वामी संप्रदाय के अंतर्गत वंशी अलि जी की पीठ के आचार्य थे ।[१६] [१७] 

यों तो डॉ चतुर्वेदी के शोधपत्र हिन्दी की बड़ी-से बड़ी पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। नवभारतटाइम्स के एकदा स्तंभ के लिये उन्होंने ९० कहानियां लिखी थीं । किन्तु लोक के प्रति उनकी निष्ठा ही वह कारण है कि उन्होंने ब्रजभाषा में भी रचना की और ये रेखाचित्र आकाशवाणी पर प्रसारित हुए । बाद में पं. विद्यानिवास मिश्र के आग्रह पर इन रेखाचित्रों को अमर उजाला ने भी प्रकाशित किया । वरेण्यसाहित्यकार श्री सच्चिदानन्द वात्स्यायन अज्ञेय ने जब वत्सलनिधि ट्रस्ट का एक लेखक शिविर “समाजपरिवर्तन और साहित्य” पर केन्द्रित किया तो, आपने लोकभाषा की महत्ता को रेखांकित ही नहीं किया, अपितु अज्ञेयजी के सान्निध्य में “गाड़ी की मरजाद” शीर्षक ब्रजभाषा- रेखाचित्र भी प्रस्तुत किया। तब अज्ञेयजी ने आपको अकेले में बुला कर यह भी कहा था, कि ब्रज के इस आग्रह से तुम्हारा सृजन जनपद तक ही सीमित क्यों रहे ? तब आपने कुछ रेखाचित्र हिन्दी में भी उतार दिये थे। उनके साहित्यिक कार्यों को डॉ कर्ण सिंह, श्रीनारायण चतुर्वेदी, श्रीमती डॉ. कपिला वात्स्यायन, डॉ नगेंद्र, श्री जैनेंद्र जी, श्री इंद्रनाथ चौधरी, श्री कमलेश दत्त त्रिपाठी, श्री अशोक वाजपेई, डॉ किरीट जोशी और डॉ प्रभाकर माचवे ने भी  खूब सराहा है। श्री गुलजारी लाल नंदा , श्री मोराजी देसाई और राजा महेंद्र प्रताप जी  से आपका शिक्षा और साहित्य  पर निरंतर पत्राचार रहा है ।


सम्मान और पुरस्कार[सम्पादन]

उनकी पुस्तक "धरती और बीज" के लिए उन्हें १९९७ में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा श्री हजारी प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार तथा ब्रज साहित्य में योगदान के लिए १९८६ में श्रीधर पाठक पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। अभी हाल ही में ,उनकी पुस्तक "धरती और बीज" के लिए उन्हें आचार्य विद्या निवास मिश्र स्मृति सम्मान २०२१[१८] प्रदान किया गया है।[१९]

उल्लेखनीय पुस्तकें[सम्पादन]

उनकी अन्य उल्लेखनीय पुस्तकों में श्रीविद्या कल्पलता[२०][२१], श्रीविद्या उपासक, सिगरे बाराती अटपटे (आकाशवाणी द्वारा प्रसारित रेखाचित्रों का प्रकाशन)[२२], ब्रज लोक गीत[२३], ब्रज लोक, लोकोक्ति और लोकविज्ञान, लोकशास्त्र, सासनी सर्वेक्षण, शैक्षिक क्रांति, निष्ठां और निर्माण आदि शामिल हैं।

सन्दर्भ[सम्पादन]

  1. "IGNCA". http://ignca.nic.in/coilnet/dharti.htm#???p. 
  2. "कादिम्बनी, कल्याण,साहित्य अमृत, वैचारिकी, मढ़ई, इंद्रपस्थ भारती, हरिगंधा, भोजपुरी लोक इत्यादि". कादिम्बनी, कल्याण,साहित्य अमृत, वैचारिकी, मढ़ई, इंद्रपस्थ भारती, हरिगंधा, भोजपुरी लोक इत्यादि. 
  3. "अमर उजाला, नवभारत टाइम्स (एकदा स्तम्भ भी) , हिंदुस्तान, दैनिक जागरण, दैनिक ट्रिब्यून(युगे युगे स्तम्भ भी शुरू किया), इत्यादि". 
  4. The Quest, Vikas Sharma. "जनपदीय साहित्य _ Basic Concept of JANPADIYA SAHITYA _ Folklorist Dr Rajendra Ranjan Chaturvedi". https://www.youtube.com/watch?v=ip8lIivqIlc&t=75s. 
  5. Ministry of Culture, Government of India, Indira Gandhi National Centre for the Arts (2006). बनारसीदास चतुर्वेदी के चुनिंदा पत्र Vol 1&2. Delhi: Indira Gandhi National Centre for the Arts. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-267-1109-4. https://ignca.gov.in/divisionss/kalakosa/kalasamalocana/banarsidas-chaturvedi-ke-chuninda-patra/. 
  6. Ministry of Culture, IGNCA. "हिंदी व्याख्यान माला के तहत “स्वतंत्रता आंदोलन और लोक चेतना” विषय पर व्याख्यान". https://ignca.gov.in/events/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%96%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%A4/. 
  7. Singh, Dr. Karan (2018). रसदेश (केलिमाल मीमांसा) भूमिका , Vol 1 & 2. Delhi: D K Print world & IGNCA. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-8124609309. 
  8. The Quest, Vikas Sharma. "ब्रज साहित्य मण्डल _ The early period of Braj Sahitya Mandal _ Folklorist Rajendra Ranjan Chaturvedi". https://www.youtube.com/watch?v=tZDmZck9pTg&t=22s. 
  9. व्यास, गोपालप्रसाद. "ब्रज साहित्य मंडल, मथुरा". https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6_%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B8. 
  10. Sharma, The Quest, Vikas. "धरती और बीज' Lokdarshan _ Folklorist Rajendra Ranjan Chaturvedi on AWARDED book 'Dharti aur Beej'". https://www.youtube.com/watch?v=IhYTbX-1Kiw. 
  11. प्रकाशक, राधाकृष्ण प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड (1997). "धरती और बीज". https://www.ignca.gov.in/eBooks/Hindi_Dharti_aur_Beej.pdf. 
  12. Ministry of Culture, Government of India, IGNCA. "Seed and the Earth". https://ignca.gov.in/events/seed-and-the-earth-by-shri-rajendra-rajan-chaturvedi/. 
  13. Sharma, The Quest, Vikas. "शास्त्र और लोक _ Academic Structured Knowledge & Tradition of Folklore _ Rajendra Ranjan Chaturvedi". https://www.youtube.com/watch?v=6IGMRCAnFxc. 
  14. १४.० १४.१ D K Print World, IGNCA (2018). रसदेश (केलिमाल मीमांसा Vol 1 &2 ). Delhi: D K Print world. पृ॰ 962. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-8124609309. 
  15. Ministry of Culture, Government of India, IGNCA. "रसदेश ग्रन्थ-विमोचन, परिचर्चा एवं “रसोत्सव” (चित्र-प्रदर्शनी)". https://ignca.gov.in/?s=%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6. 
  16. Singh, Dr. Karan (2018). रसदेश ( केलिमाल मीमांसा ) Vol 1 & 2 भूमिका. DELHI: D K Print World & IGNCA. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-8124609309. 
  17. Joshi, Dr, Munish. "श्री विद्या कल्पलता भूमिका". https://archive.org/details/shrividya-kalpalata-by-dr-rajendra-ranjan-chaturvedi/page/n21/mode/2up. 
  18. "दैनिक जागरण". https://m.jagran.com/haryana/panipat-rajendra-chaturvedi-of-panipat-solved-mystery-of-earth-and-seed-will-be-honored-with-acharya-vidyanivas-mishra-honor-22378059.html. 
  19. "विद्या श्री न्यास". https://vidyashreenyas.com/. 
  20. श्रीविद्या कल्पलता. मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स प्राइवेट लिमिटेड. 1997. 
  21. "श्री विद्या कल्पलता". https://archive.org/details/shrividya-kalpalata-by-dr-rajendra-ranjan-chaturvedi/page/n23/mode/2up. 
  22. सिगरे बाराती अटपटे. Lucknow: Lokoday Prakashan Private Limited. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-88839-25-9. 
  23. "उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी". http://www.upsna.ac.in/home/prakashan/. 


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