राम अवतार दीक्षित
क्रांतिकारी राम अवतार दीक्षित
भारत की आजादी के दीवानों की गाथा सुनकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सैकड़ों क्रांतिकारियों ने जंगे-ए आजादी में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए थे। ऐसे ही वीर सपूत राम अवतार दीक्षित के शरीर में क्रांतिकारी पिता बूलचंद दीक्षित व माता सावित्री देवी का खून दौड़ रहा था। सेनानी रामअवतार जी के माता-पिता को स्वतंत्रता आंदोलन की गतिविधियों में सक्रिय पाए जाने पर अंग्रेजों ने लाहौर(तब भारत का हिस्सा) की जेल में बंद कर दिया था। स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय रामअवतार दीक्षित का जन्म लाहौर की जेल में ही हुआ था। तब रामअवतार के पिताजी व माताजी लाहौर में आंदोलन में थे। आपकी परवरिश जैतरा गांव में हुई। क्रांतिकारी राम अवतार जैसे-जैसे जवानी की दहलीज पर चढ़े तो देश की आजादी के आंदोलनों में पिता की तरह खुद भी सक्रिय हो गए।
इतिहास इस बात का गवाह है कि क्रांतिकारी रामअवतार दीक्षित ने धामपुर में पोस्ट आफिस में घुसकर तोडफ़ोड़ की, आग लगाई। थाना फूंक कर, अंग्रेजी झडे को जला दिया और वहाँ भारतीय झंडा फहराया। पोस्ट आफिस से अंग्रेज़ी धन छीनकर स्वतंत्रता आदोलन के क्रांतिकारियों के सहयोग में लगा दिया था। बिजनौर, मुरादाबाद व अमरोहा में आपने तब अनेकों गुप्त सभायें की तथा 'अंग्रेजों भारत छोडो़ आंदोलन' को इस क्षेत्र का बड़ा आंदोलन बनाया। आपने अपनी जमीनों को बेचकर, उसका धन आंदोलनों एवं सेनानियों के सहयोग में लगाया। आपको सेनानी विश्म्भर नाथ आर्य,राम गुलाम,शिवस्वरूप,शम्भू दयाल सिंह,दाउ जी आदि का साथ भी रहा।
कुछ समय बाद राम अवतार दीक्षित को उनके साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया था। वीर क्रांतिकारी राम अवतार दीक्षित को दो वर्ष की कठोर सजा सुनाई गई थी। जेल के अंदर भी इन्होंने क्रांति जारी रखी और अंग्रेजों द्वारा कैदियों के साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार का विरोध किया, जिससे स्व.रामअवतार दीक्षित को कोड़ों की अतिरिक्त सजा भी सुनाई गई थी। आपने जेल में 'टाट वर्दी' की सजा भी भुगती। उनके जेल में रहते दुकानदार अंग्रेज सरकार के डर से परिवार को राशन देने से डरते थे। उनकी माता कई-कई दिनों तक भूखी रहीं, लेकिन अपने पुत्र एवं पति के देशप्रेम से सदा अभिमान से सर उठा कर चलती थीं। आपने अपने घर की अघोषित कुर्की भी भुगती।
एक बार राम अवतार दीक्षित मुरादाबाद में एक आंदोलन की तैयारी कर रहे थे तो किसी ने मुखबरी कर दी कि रामअवतार दीक्षित सभा कर रहे हैं। पुलिस ने छापा मारा तो उन्हें उनके साथियों ने वहा से निकाला, उनके साथी यहा काला प्यादा मुहल्ले के आन्दोलनकारी के घर ले गए और वहां वह तीन दिन तक रहे। रामअवतार दीक्षित के हिन्दू होने के नाते, मुस्लिम आंदोलनकारी के यहा पूरे परिवार ने तीन दिन तक लहसुन प्याज एवं मांस का सेवन बिल्कुल बन्द कर दिया था।
आपकी मृत्यु 2006 में मुरादाबाद के सरकारी हस्पताल में हुई।
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