लोक कवि सूर्यानन्द सूर्याकर
लोककवि सूर्यानन्द सूर्याकर
लोककवि सूर्यानन्द सूर्याकर जी का जन्म बलिया के बादिलपुर गाँव में 18, मार्च, 1948 को हुआ। गंगा नदी के किनारे जन्मे सूर्याकर जी प्रारंभ में लक्खीचंद प्रसाद 'दिवाकर के नाम से साहित्य सेवा करते थे पर सूर्य पंथ की विचारधारा ने उनकी जिन्दगी का रुख बदल दिया। उन्होनें अपने को सूर्य (दिवाकर) कहने में अतिश्योक्ति लगी और उन्होनें अपना नाम सूर्यानन्द सूर्याकर (सूर्य की किरण कर दिया)।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी सूर्याकर जी अल्पायु से ही साहित्य रचना कर रहे है। उनकी पहली भोजपुरी रचना सन् 1963 ई0 में बलिया समाचार पत्रिका में 'फुटली किरिनिया विहान देशवा प्रकाशित हुई थी। उनकी पहली भोजपुरी कहानी सन् 1966 ई0 में बनारस से भोजपुरी कहानियां में 'आपन पराया प्रकाशित हुई थी। तब से उनकी साहित्य साधना अनवरत चलती आ रही है। 1975 ई0 पहला भोजपुरी गीत संग्रह भोजपुरी लहर में प्रकाशित हुई। कविता, गीत, कहानी, नाटक, व निबंध सहित सभी विधाओं में सृजन किया है। लोक कवि गीतकार गायक बनाने में स्वर्गीय पूजनीया माता श्री 'ज्ञानवती देवी के बहुत बड़ा योगदान रहा। सूर्याकर जी भोजपुरी में हजारों गीतों का सृजन कर चुके है।
(1) जय भोजपुरी, जय भोजपुरिया- भोजपुरी भाषा भोजपुरिया समाज का परिचय (2) अंजोर दीयाबाती- शिक्षाप्रद और ज्ञानवर्धक गीत (3) लोक झलक-भोजपुरी लोक संस्कृति पर आधारित गीत (4) गंउआ में बसेला हिन्दुस्तान-ग्रामीण परिवेश के गीत (5) गरीब गोहार-निर्धनता, विषमता और शोषण के विरूद्ध आवाज के गीत (6) ओरहन-राष्ट्रीय और समाजिक बुराई के पर्दाफाश के गीत (7) सनेहिया-प्रेम अवरू श्रृंगार के गीत (8) मनवा के मीत-प्रेम अवरू श्रृंगार गीत
इनके हजारों गीत जो साहित्य सौन्दर्य रस, छन्द और अलंकार से परिपूर्ण है। ये गीत सुन्दर सरल और भावपूर्ण गेय गीत है। इनके सभी गीतों में समाज सुधार, जनचेतना, सन्देश है। काव्य पुस्तक के आलवा भोजपुरी गद्य में भी कलम चलाया है कोश -भोजपुरी- हिन्दी- इंग्लिश कोश, भोजपुरी मुहावरा कहावत कोश, व्याकरण - सुबोध भोजपुरी व्याकरण, निबंध संग्रह-गागर में सागर, कहानी संग्रह- आपन घर, उपन्यास- पिया भोजपुरीया, हमार छुटि गइले चुनरी के दाग, नाटक- पत्थर से फूल
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