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विदल और उत्पल

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विदल और उत्पल शिवपुराण के युद्धखण्ड में अंकित दो पात्र हैं।[१]

कहानी[सम्पादन]

विदल और उत्पल दोनों ने तप करके ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त कर लिया था कि वे किसी भी पुरुष के हाथों नही मारे जाएंगे।किसी पुरुषके हाथसे न मरनेका वर प्राप्त करके सब देवताओंको जीत लिया था। तब देवताओंने ब्रह्माजीके पास जाकर अपना दुःख सुनाया।[२] उनकी कष्ट-कहानी सुनकर ब्रह्माने उनसे कहा-‘तुमलोग शिवासहित शिव का आदरपूर्वक स्मरण करके धैर्य धारण करो। वे दोनों दैत्य निश्चय ही देवीके हाथों मारे जायँगे।[३]

एक बार नारदजी ने उन दैत्यों के सामने पार्वती के सौंदर्य की बहुत बड़ाई की। [४] पार्वती के अपहरण करने के लिये गए तो पार्वती गेंद उछाल रही थी। शिवजी ने उनको पहचान लिया और पार्वती को इशारा कर दिया। पार्वती समझ गई और गेंद से उन दोनों के इतनी जोर से मारी कि वे वहीं धरासायी हो गए।[५]

इन्हें भी देखें[सम्पादन]

1. शिवपुराण

2. शिव

3. पार्वती

संदर्भ[सम्पादन]

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