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श्री ब्राह्मण स्वर्णकार

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श्री ब्राह्मण स्वर्णकार समाज की उत्पति श्रीमाल (,वर्तमान में भीनमाल ) से हुई, सोने के आभूषण व कुंदन मीना जड़ाऊ आभूषण के निर्माता ब्राह्मण स्वर्णकार को ही माना गया हैं, श्री धर्मश्री महाराज को ब्राह्मण स्वर्णकार के युगपुरुष रूप में जाना जाता हैं, इनका जन्म बाड़मेर के किराडू गांव में अक्षयातीज को हुआ था, मान्यता है की इनके पास पुरखो की सिद्ध की हुई पारस मणि भी थी जिसका सदुपयोग यह जनकल्याण हेतु किया करते थे, समाज में अपने निज देखरेख में प्रथम सामुहिक विवाह आयोजित किया जिसमें 100 कन्याओं का विवाह करवाया और ऐसे कई समारोह अपने जीवनकाल में आयोजित किए थे, परोपकार के कई कार्य किए, तालाब कुएं बावड़ी मंदिर इत्यादि बनाए, ब्राह्मण स्वर्णकार समाज के गौत्र और नियम बनाए जैसे नित्य यज्ञ करना, दान देना, जैनेउ धारण रखना, मांसाहार नहीं करना, मदिरापान या अन्य व्यसन नहीं करना, अनैतिक आचरण न करना, सिद्धांत से कार्य करना, गलती से भी अनुचित खाद छिज्जत न हो इसका विशेष ध्यान रखना इत्यादि l इन्हीं के वंशावली में आगे चल कर श्री श्री 1008 पंछी देव जी महाराज भी हुवे l वर्तमान में संपूर्ण भारत में ब्राह्मण स्वर्णकार निवास करते है , उनमें अधिकांश जनसंख्या जोधपुर, बीकानेर , अहमदाबाद, बाड़मेर जयपुर में है इनके अतिरिक्त मध्यप्रदेश, गुजरात राजस्थान, बंगाल, महाराष्ट्र, इत्यादि सभी जगह भी निवास करते हैं l


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