संत शिरोमणि रविदास
संत रविदास को हम रैदास के भी नाम से जानते हैं। गणपति चंद्रगुप्त के अनुसार इनका जीवन काल है, 1445 विक्रम संवत से 1575 विक्रम संवत। डॉ नागेंद्र के अनुसार इनका जीवन काल है, 1498 ईस्वी से 1598 ईस्वी। इनका जन्म काशी वाराणसी में हुआ था, इनका अन्य नाम रविदास भी है, और इनके गुरु श्री रामानंद जी थे। संत रैदास मीरा के गुरु भी थे। यह चमार जाति में पैदा हुए थे। ......... प्रमुख पंक्ति....---- "अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी।
प्रभु जी तुम चंदन हम पानी, जाकी अंग-अंग बास समानी। ,
इनकी भाषा ब्रज रही है और इनके 40 पद गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित है। इनकी कोई स्वतंत्र रचना प्राप्त नहीं होती है इनके रचित फुटकल पदों को एक संग्रह 'रविदास की वाणी' के नाम से संतवाणी सीरीज में संकलित है। इनका समकालीन शासक था सिकंदर लोदी। ...... लेखक-.. सौरभ विश्वकर्मा ( संगम उपन्यास)..... ।
।
This article "संत शिरोमणि रविदास" is from Wikipedia. The list of its authors can be seen in its historical and/or the page Edithistory:संत शिरोमणि रविदास.