सच्चिदानंद भारती
सच्चिदानंद भारती | |
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जन्म |
5 नवम्बर 1955 गाडखर्क, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
अन्य नाम | सच्चिदानंद ढौंडियाल |
व्यवसाय | समाज सेवा, शिक्षक |
गृह स्थान | गाडखर्क, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड |
धार्मिक मान्यता | हिन्दू |
सच्चिदानंद भारती (अंग्रेज़ी: Sachidanand Bharti) उत्तरी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के एक प्रसिद्ध पर्यावरणवादी , समाजसेवी और शिक्षक हैं। उनकी उल्लेखनीयता का प्रथम कारण वृक्षारोपण है जिसके लिए उन्होंने चिपको आन्दोलन से प्रभावित होकर 1970 के दशक से बृक्षारोपण का कार्य शुरू किया, उन्हें राष्ट्रिय स्तर पर कई प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मनित किया जा चूका हैं जैसे कि राष्ट्रीय जल पुरस्कार, स्वामीराम मानवता पुरूस्कार, केदार सिंह रावत पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार, आदि, उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय से सम्मानदायक डी लिट की उपाधि और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी आकाशवाणी पर प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रम मन की बात में उनके इस कार्य की प्रशंसा कर चुके हैं,[१][२][३][४][५][१][६][७][८][९][१०][११][१२][१३]
सच्चिदानन्द भारती का जन्म उत्तराखण्ड के पौड़ी गढवाल के अंर्तवर्ती राठ क्षेत्र के ग्राम गाडखरक, उफरैखाल में सन 1955 में हुआ ।[२]
प्राथमिक शिक्षा गांव के विद्यालयों में ग्रहण कर वे उच्च शिक्षा अध्ययन हेतु 1974 में गोपेश्वर आये। स्नाकोत्तर महाविद्यालय में छात्रों के बीच रचनात्मक कार्यों तथा विचारों को बढावा देने के लिए इन्होंने युवा निर्माण समिति का गठन किया, उसी दौर में वहाँ प्रसिद्ध चिपको आन्दोलन ने जन्म लिया। और एक सजग छात्र के नाते वह चिपको आंदोलन से जुडे।
सन 1976 में दशोली ग्राम स्वराज्य मंडल द्वारा जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव को रोकने के लिए 45 दिवसीय वृहद वृक्षारोपण शिविर लगाया गया। श्री भारती इसमें अपने सौ युवा साथियों के साथ 45 दिन तक दशोली ग्राम स्वराज्य मंडल जोशीमठ के साथ मिलकर बृक्षारोपण किया जिसका नतीजा ये हैं कि आज इस जगह पर एक घना वन हैं, इसी दौरान उन्होंने पेड-पौधों के प्रति मित्र-भाव विकसित करने के ध्येय से 4 अगस्त 1978 में “डाल्यू का दगडिया' (पेडों के दोस्त) मण्डली का गठन किया। जो आज भी सक्रिय हैं। सन 1979 में अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद वह अपने गांव उफरैखाल वापस लौटे और गांव के स्कूल में ही शिक्षक पद पर कार्य करने के साथ-साथ क्षेत्र में वन एवं पर्यावरणीय समस्याओं के निराकरण के लिए कार्य करने लगे। और सन 1979 में इस क्षेत्र के वन कटान को रोकने के लिए श्री सच्चिदानन्द भारती ने लोगों को संगठित करने का कार्य किया, और वनो को सरक्षण करने में कामयाबी प्राप्त की। तथा इसी स्थान से वनों के संवर्धन का काम भी शुरू किया । सच्चिदानन्द भारती ने दूधातोली जुलाई 1980 में पहला पर्यावरण शिविर सम्पन किया, इस पर्यावरण शिविर मे लोगों ने बढ़-चढ़ का भाग लेकर आस पास के इलाके में बृक्षारोपण किया, सच्चिदानन्द भारती ने इस काम को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए सन 1982 में एक संस्था 'दूधातोली लोक विकास संस्थान बनाई,
दूधातोली लोक विकास संस्थान में आसपास के गांवों के लोगों कोजोड़ा गया, चूँकि शिविरों का मुख्य विषय ही घास, जंगल, पानी, खेती आदि हुआ करता था इसलिए धीरे-धीरे इसमें अन्य महिलाएं जुडती चली गई। फिर इन्हीं शिविरों में हुई बातचीत से यह निर्णय सामने आया कि हर गांव में अपना सघन वन बने। ताकि ईधन, चारे आदि के लिए सुविधा बढ़ सके। इस तरह हर शिविर के बाद उन गांवों में महिलाओं के अपने नए-नए संगठन उभर आए।
1989 में प्रारम्भ में सच्चिदानंद भारती ने अपने क्षेत्र में वनों के साथ पानी की परंपरा को भी समझना प्रारंभ किया। इसलिए कुछ आपसी बातचीत, कुछ अंदाज, कुछ नए प्रयोग से वनों के संवर्धन के साथ पहाडों में जल संरक्षण के काम को भी इसमें जोडा। इसे पाणी राखों आन्दोलन कहा गया, दूधातोली क्षेत्र में चाल बनाने का काम गाडखर्क गांव उफरैखाल से प्रारंभ हुआ। आज इस पूरे क्षेत्र के लगभग 150 गॉंवो में 30,000 से अधिक चाल /खाल बनकर तैयार किये गए हैं जो की वर्षभर वर्षा जल से भरे रहते है, जिससे आस-पास के गांव में पानी की समस्या और जंगलों में आग लगने की घटनाएं काफी हद तक दूर हो गई|, ग्राम वनों में बनी चालों के कारण उनमें गर्मी के तपते मौसम में भी नमी और हरियाली बनी रही, उफरैखाल के वन से निकलने वाली सूखारौला नदी बारिस के मौसम में उफन जाती और नवंबर आते आते सूख जाती थी। इसलिए इसका नाम ही सूखारीला पड़ चुका था। यहां सन् 1990 से 1998 तक एक हजार जल तलाई बनायीं गयी, इन सबमें संचित जल की एक-एक बूंद ने सूखारौला का स्वभाव बदला। सूजिसका नतीजा ये हुआ कि इस नदी में साल भर पानी बहने लगा और इस नदी का नया नाम हो गया गाडगंगा। सच्चिदानन्द भारती द्वारा यह काम बहुत ही धीरज के साथ किया गया। अपने बच्चों की तरह पाल पोसकर खड़े किये वनों की रखवाली, चाल-खालों की सार संभाल आज क्षेत्र के 150 गांवों में बड़े नियम और अनुशासन से चल रहा है। मिट्टी और पानी का संरक्षण दो-चार साल का नहीं अपितु सदियों का कार्य बन जाता है। इसमें केवल उत्तराखण्ड ही नहीं सभी पर्वतीय क्षेत्रों के सुधार के बीज छिपे हैं। सन 2001 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री के. सी. सुदर्शन जी ने उफरैंखाल का दौरा किया और भारती जी द्वारा किए गए कामों का निरीक्षण किया। सुदर्शन जी ने भारती जी द्वारा स्थानीय लोगों और महिला मंगल दलों के साथ मिलजुल कर पानी और जंगलों को बचाने के कार्य को देखा और कार्यो की सरहाना की ।
गत वर्ष 27 जून 2021, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मन की बात कार्यक्रम में सच्चिदानंद भारतीय का जिक्र किया |[१] उन्होंने कहा कि किसी भी काम को सच्ची निष्ठा और लगन के साथ किया जाए तो उसमें सफलता मिल सकती है | जिस तरह से उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल जिले के शिक्षक सच्चिदानंद भारती ने जल संरक्षण में महत्वपूर्ण काम किया है, उनके इस प्रयास को आगे बढ़ाया जा सकता है | पीएम मोदी ने सच्चिदानंद भारती की सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि पहले उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पानी की किल्लत होती थी, लेकिन सच्चिदानंद भारती ने अपने प्रयासों से पानी के संरक्षण में महत्वपूर्ण प्रयास किया है, जो एक सराहनीय कदम है |
पुरस्कार[सम्पादन]
- इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार, भारत सरकार
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय पुरस्कार, मध्य प्रदेश सरकार
- भगीरथ प्रयास सम्मान वर्ल्ड वाइड फण्ड
- पर्यावरण रक्षक पुरुस्कार - पाञ्जन्य एवं ऑर्गनिज़र , भारत प्रकाशन
- उराव देवरस सम्मान, लखनऊ
- संस्कृति पुरस्कार, नई दिल्ली
- स्वामी रामा मानवता पुरस्कार, देहरादून
- उत्तराखंड ग्रीन अवार्ड, देहरादून
- राष्ट्रीय जल पुरस्कार ,नई दिल्ली
- टाइम्सनाव विनर अवॉर्ड, नई दिल्ली
सन्दर्भ सूची[सम्पादन]
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- ↑ १.० १.१ १.२ Jun 28, Shivani Azad / TNN / Updated:; 2021; Ist, 10:46. "PM Modi lauds Uttarakhand environmentalist Sachidanand Bharti for his water conservation efforts in hills | Dehradun News - Times of India" (en में). https://timesofindia.indiatimes.com/city/dehradun/modi-lauds-uttarakhand-environmentalist-sachidanand-bharti-for-his-water-conservation-efforts-in-hills/articleshow/83900918.cms.
- ↑ २.० २.१ "कौन है सच्चिदानंद भारती जिनकी हर तरफ हो रही तारीफ, उत्तराखंड के छोटे से गांव में किया कमाल" (en में). https://www.outlookhindi.com/country/state/who-is-sachchidanand-bharti-who-is-being-praised-everywhere-did-wonders-in-a-small-village-of-uttarakhand-work-over-water-59502.
- ↑ "Mann ki Baat: 'पाणी राखो आंदोलन' चलाने वाले भारती ने ऐसे लौटाई हरियाली, पीएम मोदी ने की तारीफ" (hi में). 2021-06-27. https://hindi.news18.com/news/uttarakhand/dehradun-sachidanand-bharti-pani-bachao-andolan-returned-greenery-pm-modi-mentioned-nodssp-3636321.html.
- ↑ Bharatvarsh, TV9 (2021-06-27). "Uttarakhand: PM मोदी ने 'मन की बात' में की सच्चिदानंद भारती की तारीफ- अपनी कड़ी मेहनत से सूखी पहाड़ियों को बनाया हरा-भरा, खत्म किया पानी का संकट" (hi में). https://www.tv9hindi.com/state/uttarakhand/paurdi-garhwal-sachidanand-bharati-made-dry-hills-green-or-solve-water-problem-712882.html.
- ↑ "सचिदानंद भारती को मिलेगा केदार सिंह रावत पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार" (hindi में). https://www.livehindustan.com/uttarakhand/chamoli/story-sachidanand-bharti-to-get-kedar-singh-rawat-environmental-protection-award-7050753.html.
- ↑ "सच्चिदानंद भारती को भगीरथ प्रयास सम्मान से नवाजा" (hi में). https://www.amarujala.com/uttarakhand/pauri/honour-to-sachidanand-bharti-hindi-news.
- ↑ राणा, पंकज (2021-06-27). "मन की बात: मोदी ने किया उत्तराखंड के सच्चिदानंद भारती का जिक्र, जल संरक्षण कार्य की सराहना की" (hi में). https://www.abplive.com/states/up-uk/mann-ki-baat-pm-modi-mentioned-sachchidanand-bharti-of-uttarakhand-praised-water-conservation-work-ann-1932759.
- ↑ "आज लोग पानी के लिए लड़ रहे हैं, लड़ना ही है तो धरती को बचाने के लिए लड़ें : दीया मिर्जा". https://ndtv.in/india/protecting-environment-is-important-for-everyone-dia-mirza-in-ndtv-youth-for-change-1459861.
- ↑ "https://twitter.com/ltgengurmit/status/1475851419634724868" (hi में). https://twitter.com/ltgengurmit/status/1475851419634724868.
- ↑ "सच्चिदानंद भारती तीनदशकों में 700 हेक्टेयर हिमालय भूमि पर जंगल उगाने और 20,000 तालाब साकार करने वाले पर्यावरणविद". https://www.bhaskar.com/JHA-MAT-latest-patan-news-031541-3929144-NOR.html/.
- ↑ Devy, G. N.; Davis, Geoffrey V.; Chakravarty, K. K. (2015-08-12) (en में). Knowing Differently: The Challenge of the Indigenous. Routledge. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-317-32569-7. https://books.google.com/books?id=jsRcCgAAQBAJ&newbks=0&printsec=frontcover&pg=PA212&dq=sachidanand+bharti&hl=en.
- ↑ Devy, G. N.; Davis, Geoffrey V.; Chakravarty, K. K. (2015-08-12) (en में). Knowing Differently: The Challenge of the Indigenous. Routledge. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-317-32569-7. https://books.google.com/books?id=jsRcCgAAQBAJ&newbks=0&printsec=frontcover&pg=PA212&dq=sachidanand+bharti&hl=en.
- ↑ "A people's forest" (en-IN में). The Hindu. 2011-10-22. ISSN 0971-751X. https://www.thehindu.com/features/magazine/a-peoples-forest/article2562120.ece.