सारावली - चंद्राअरिष्ट
सारावली
चंद्राअरिष्ट
अरिष्ट का मतलब होता है दु:ख।
· जिसके जन्म लग्न से छठें या आठवें स्थान में चंद्र हो, और अशुभ ग्रह से दृष्ट हो या शुभ ग्रह से दृष्ट ना हो तो जातक कि शीघ्र ही म़ृत्यु होती है।
· यदी छठें या आठवे स्थित चंद्र को केवल शुभ ग्रह देखते हो तो आठवे वर्ष में म़ृत्यु होती है।
· यदी छठें या आठवे स्थित चंद्र को शुभ और अशुभ ग्रह देखते हो तो चौथे वर्ष में म़़ृत्यु होती है।
· चंद्र के तुल्य कोई भी शुभ ग्रह यदि जन्म लग्न से छठें या आठवे भाव में स्थित हो और वक्री पाप ग्रह उसे देखता हो और कोई भी शुभ ग्रह न देखता हो तो एक मास में म़ृत्यु होती है।
· प्रत्येक केन्द्र भाव में ग्रह हो, एक में चंद्र हो और अन्य तीन में भावों में पाप ग्रह हो तो जातक को शीघ्र म़ृत्यु हो जाती है।
· जन्म चक्र में चंद्र पाप ग्रह से युक्त होकर ७,८,१२ और ९ भाव में स्थित हो और उसे कोई शुभ ग्रह नही देखता हो या केन्द्र् में शुभ ग्रह न हो तो जातक की तत्काल म़ृत्यु होती है।
· चंद्र दो पाप ग्रहों के मध्य में स्थित होकर ४ और ८ भाव या ७ वे भाव में हो तो म़ृत्यु योग होता है।
· लग्न में चंद्र और ७ वे भाव में पाप ग्रह हो तो म़त्यु योग होता है ।
· निर्बल चंद्र १२ वे भाव में स्थित हो और पाप ग्रह १ या ८ भाव में हो और केन्द्र में कोई शुभ ग्रह ना हो तो भी म़ृत्यु योग होता है।
· चंद्र ग्रहण मे जन्म के समय चंद्र पाप ग्रह के साथ लग्न में हो और ८ वे भाव में मंगल हो तो जातक की माता सहित म़ृत्यु होती है।
· लग्न से ५,७,९,१२,१ और ८ में चंद्रमा पाप युक्त हो तो उस पर बली, शुक्र, बुध, गुरू कि द़ृष्टि न हो तो म़त्यु होती है।
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