सुक्तिमती का चेदि-चन्देल वंश
चेदी-चन्देल सुक्तिमती का चेदी-चन्देल राजवंश | |||||
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चित्र:Chandelas Empire Imperial Emblem.jpg चेदी-चन्देल राजवंश का शाही चिन्ह | |||||
आदर्श वाक्य जयति पितामह श्रीमन् नारायण ࿗ जय माहिष्मति | |||||
राजधानी | कालिंजर (सैन्य राजधानी) चन्देरी (राजस्व राजधानी) | ||||
भाषाएँ | संस्कृत | ||||
धर्म | हिन्दू धर्म (शैव एवं वैष्णव) | ||||
शासन | साम्राज्य | ||||
सम्राट या राजा | |||||
- | 21वी शताब्दी त्रेता युग | वृष्णि (संस्थापक) | |||
चिदी (राजवंश के नाम परवर्तक) | |||||
- | 7ई. | भूभुजामवर्मन चन्देल (अंतिम शासक) | |||
ऐतिहासिक युग | वैदिक भारत | ||||
- | स्थापित | 21वी शताब्दी त्रेता युग | |||
- | अंत | 6वीं ई. | |||
आज इन देशों का हिस्सा है: | भारत |
सुक्तिमती का चेदि-चन्देल राजवंश वैदिक काल के चेदि जनपद का राजवंश था, जिसपे श्रेष्ठ हैहयवंशी क्षत्रियों की चेदि या चन्देल शाखा का शासन था। इन्होंने 21 मध्य शताब्दी त्रेतायुग से 7 वीं शताब्दी तक चेदी से गोदावरी से दक्षिणी अवंती के राज्य पे शासन किया। चेदीवंश की स्थापना हैहयवंश के वृष्णीकुल के राजा चिदी ने की थी। उत्तर काल में शिशुपाल ने चन्देरी की स्थापना की जिसके बाद वंश का नाम चेदी-चन्देल हो गया। चेदी-चन्देलो की राजधानी चन्देरी (सुक्तिमती) थी।[३][४][५]
उत्पत्ति[सम्पादन]
श्रीमदभगवद्भमहापुराण के अनुसार, यदुकुल के हैहयवंशी क्षत्रिय, भगवान कार्तवीर्य अर्जुन के प्रपुत्र वृष्णी को परशुराम ने महिष्मति का सम्राट बनाया था। राजा वृष्णी ने इक्ष्वाकुवंश के राजाओं को मार के अपने बड़े भाई वितीहोत्र की मृत्यु का बदला लिया और उनके पुत्र वितिहत्य को मुख्य महिष्मति का राजा बना साम्राज्य का आधा विभाजन कर दिया। महाराज वृष्णी ने दक्षिण महिष्मति (विंध्य प्रवतो) में नया राज्य बसाया जो राजा सुक्तिमत के बाद सुक्तिमती हो गया। इसी वंश में राजा चेदि हुए जिन्होंने चेदि जनपद बसाया जिनकी ख्याति से इस वंश का नाम चेदि हो गया। चेदि के वंश में वैकुंठ के द्वारपाल स्वयं यक्ष जय का जन्म हुआ था शिशुपाल के रूप में जिनके श्री कृष्ण का ममेरे भाई थे। शिशुपाल ने चन्देरी का राज्य बसाया और राजधानी वहां की तबसे राजवंश का नाम चेदि चन्देल हो गया।
वंशावली[सम्पादन]
- मधु
- 1. वृष्णी (श्रीमद्भागवत जैसे हिंदू पुराणों के अनुसार पृथ्वी के चक्रवर्ती राजा, इक्ष्वाकुवंशीयो और उनके दानव सहयोगियों का नरसंहार किया था।
- 2. रोमपद
- 3. बभरू
- 4. कृति
- 5. उशिका
- 6. विदर्भ
- 7. चेदि चेदी जनपद एवं चेदी राजवंश के संस्थापक)
- 8. सुबाहु प्रथम
- 9. वीरबाहु
- 10. सुबाहु द्वितीय
- 11. तमन्ना (भगवान राम के समकालीन)
- 12. सुक्तिमत
• अज्ञात अक्षबाहु तक
- 62. अक्षबाहू
- 63. प्रतगृहा
- 64. दमघोष
- 65. शिशुपाल (चन्देरी किले के संस्थापक, राजधानी बनाने के बाद वंश का नाम चेदि-चन्देल पड़ना)
- 66. दृष्ठकेतु
- 67. सुवेतुवर्मन
- 68. घोषकेतुवर्मन
★ महाभारत काल से लेके 6वी शताब्दी तक कुल 164 हैहयवंशी चेदी-चन्देल राजाओं का सामंती या स्वतंत्र शासन था।
- 232. हैहयराय हरिहरवर्मन चन्देल, ने सुक्तमति राज्य का 5 हिस्सों में विभाजन किया।
- 233. भूभजामवर्मन के पुत्र चन्द्रवर्मन ने राजधानी चन्देरी/चन्देली, सुक्तिमति से हटा के नई जगह बनाया और इस सुक्तिमति के राजवंश का अंत हो गया और वंश के नए राजवंश जेजाकभुक्ति के चन्देल राजवंश का उदय हुआ।
शाखाएं[सम्पादन]
संदर्भ[सम्पादन]
संदर्भ[सम्पादन]
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- ↑ Gyani, Shiva Datta (1967) (hi में). Vedakālīna samāja. Caukhambā Vidyābhavana. https://books.google.com/books/about/Vedak%C4%81l%C4%ABna_sam%C4%81ja.html?id=eIrXeGlGW2IC.
- ↑ (hi में) Samanya Adhyayan Prachin Bharat Ka Itihaas. Upkar Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5013-616-4. https://books.google.com/books/about/Samanya_Adhyayan_Prachin_Bharat_Ka_Itiha.html?id=INwVBwAAQBAJ.
- ↑ Edwin Thomas Atkinson 1971, पृ॰ 504.
- ↑ Kuśa rājavaṃśa pradīpa & kr̥shṇapāla Siṃha, Rāma Sahāya Brahma Bhaṭṭa, Baśīra Ahamada 1976, पृ॰ 55.
- ↑ Nimara ka samskrtika itihasa & Ramnarayan Upadhyay 1980, पृ॰ 17.