सैनी राजपूत
यह सुझाव दिया जाता है कि इस लेख का सैनी में विलय कर दिया जाए। (वार्ता) मार्च 2023 से प्रस्तावित |
सैनी यदुवंशी राजपूत होते है । और इनका इतिहास माली , मौर्य , सक्य , भागीरथी , जाट , अहीर जैसी अन्य जातियो दावरा 1920 से चुराया जा रहा है । यह सब इतिहास चोर जातीय नायायज़ औलाद है सैनी राजपूतों और अन्य राजपूत समाज की ।
सैनी यदुवंशी सैनी राजपूत | |
---|---|
धर्म | क्षत्रिय धर्म, सिख |
भाषा | हरियाणवी, पंजाबी, हिंदी |
देश | भारत, पाकिस्तान |
मूल राज्य | हरियाणा (उतरी), पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू |
वंश | सूरसैनी[१] (श्री कृष्ण के दादा जी), वासुदेव |
उल्लेखनीय सदस्य | शरन कौर पाबला, Nanu Singh Saini, Ajit Saini, नवदीप सैनी, गुरुदास सैनी, सूबेदार जोगिंदर सिंह |
वेबपृष्ठ | www.sainionline.com[२] |
धर्म[सम्पादन]
क्षत्रिय धर्म[सम्पादन]
हालांकि सैनी की एक बड़ी संख्या क्षत्रिय धर्म को मानती है, उनकी धार्मिक प्रथाओं को वैदिक और सिक्ख परंपराओं के विस्तृत परिधि में वर्णित किया जा सकता है। माली , सक्य , मौर्य , भागीरथी , गोला और अन्य इतिहास चोर सूद्र जातियो दावरा सैनी राजपूतों का इतिहास चुराया जा रहा है 1920 से ।
सिख[सम्पादन]
पंद्रहवीं सदी में सिख धर्म के उदय के साथ कई सैनियों ने सिख धर्म को अपना लिया। इसलिए, आज पंजाब में सिक्ख सैनियों की एक बड़ी आबादी है। हिन्दू सैनी और सिख सैनियों के बीच की सीमा रेखा काफी धुंधली है क्योंकि वे आसानी से आपस में अंतर-विवाह करते हैं। एक बड़े परिवार के भीतर हिंदुओं और सिखों, दोनों को पाया जा सकता है। माली , मौर्य , सक्य , भागीरथी , जाट , अहीर जैसी अन्य जातिया सैनी राजपूतों की नाजायज़ औलाद है
राणा बांकुरा सैनी राजपूत[सम्पादन]
राणा गुरदान सैनी ने 14 वीं सदी ईस्वी में तुर्कों के खिलाफ राजा हमीर देव के राजपूत बल की कमान संभाली।[३]
कवि-विद्वान अमीर खुसरो द्वारा लिखित मिफ्ताह-अल-फुतुह में रणथंभौर की लड़ाई के दिन पर तुर्कों के बीच सबसे खूंखार राजपूत योद्धा के रूप में गुरदान सैनी वर्णित है। उनकी मृत्यु लड़ाई का निर्णायक मोड़ थी। उनके शहीद होते ही राजपूत सेना मनोबल खो बैठी और उथल-पुथल हो गयी।
"राय घबरा गया और उसने गुरदान सैनी के लिए संदेशा भेजा जो राय के चालीस हज़ार घुड़सवारों में सबसे अनुभवी योद्धा था और उसने हिन्दुओं के सबसे अधिक युद्ध लड़े थे । कई बार उसने सेना लेकर मालवा पर धावा बोला और कई बार उसने गुजरात को लूटा । सैनी ने दस हज़ार घुड़सवार उज्जैन से अपने साथ लिए और वह तुर्कों पर टूट पड़ा और बहुत घमासान युद्ध के उपरांत वह वीर गति को प्राप्त हुआ । इसके (अर्थात सैनी की वीरगति के) उपरांत हिन्दू भाग खड़े हुए और बहुत सारे या तो मर डाले गए या बंदी बना लिए गए ।"
This article "सैनी राजपूत" is from Wikipedia. The list of its authors can be seen in its historical and/or the page Edithistory:सैनी राजपूत.
- ↑ http://www.sainionline.com/home/surasaini-raso-sainiyom-ka-itihasa
- ↑ http://www.sainionline.com/home
- ↑ THE HISTORY OF INDIA , AS TOLD BY ITS OWN HISTORIANS. THE MUHAMMADAN PERIOD ' by H. M. Sir Elliot, John Dowson , pp 541