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हस्त परीक्षा

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हस्त परीक्षा (हस्त दर्शन ) में अंगुलिया : परिचय , महत्व व लक्ष्ण

प्रारब्ध व्यक्ति के किए गये कर्मों का परिणाम है । संचित कर्म व्यक्ति के किये गये कर्मों का फल होते है । कर्म का माध्यम हाथ है और बिना अंगुलियों के निष्क्रिय है । हस्त दर्शन याने हाथ देखने में अंगुलियों की उतनी ही महता है जितनी की प्रारंभ के निर्णय में कर्म की । अंगुलियों का  बारिकी से अध्ययन करके ही फलादेश  कहना श्रेयस्कर है ।

           प्राय: व्यक्तित्व परीक्षण हम अंगुलियों से निश्चयपूर्वक कर सकते है । हाथों की अंगुलियों में चार अंगुलियों को गिना जाता है । इसमे अंगुष्ठ को शामिल नहीं किया जा सकता ।

अंगुलियों का परिचय

(1)   कनिष्ठा  :- हाथ की छोटी अंगुली को कनिष्ठा कहा जाता है । इसी अंगुली के मूल में बुध पर्वत स्थित होता है । कनिष्ठा का छोटा होना शुभ नही होता है । कनिष्ठा से मानसिक और बौद्धिक स्तर का मूल्यांकन किया जाता है । प्राय: प्रसिद्ध, ईमानदार व्यक्ति होता है । कभी कनिष्ठा टेढ़ी होकर अनामिका की ओर झुकी हुई होती है । निश्चय ही ऐसे व्यक्ति को चालाक समझना चाहिए ।

(2)   अनामिका :- कनिष्ठा के साथ वाली अंगुली को अनामिका कहा जाता है । अनामिका के मूल में सूर्य पर्वत स्थित होता है । जिस व्यक्ति की अनामिका अंगुली मामूली रूप से तर्जनी से बड़ी होती है । उस व्यक्ति की अनामिका सामान्य अंगुली में मानी  जाती है । इस अंगुली से व्यक्ति  की मानसिक प्रसन्नता , सुरक्षा की भावना का मूल्यांकन करते है । अनामिका यदि टेढ़ी होकर मध्यमा अंगुली की ओर झुकी हो तो व्यक्ति मानसिक रूप से हीन , छोटी बात में अपमानित महसूस करता है ।

(3)   मध्यमा :- अंगुलियों के मध्य में रहने से उसे मध्यमा अंगुली के नाम से जाना जाता है । इसे न्याय अंगुली भी कहा जाता है । यह अंगुली जितनी सीधी , पुष्ट और मजबूत होती है , उतनी ही उस व्यक्ति में गंभीरता , ज़िम्मेदारी का अहसास होता है । प्राय: वह व्यक्ति ईमानदार , और न्याय प्रिय होता है । मध्यमा का अनामिका की और झुका होना व्यक्ति के विक्षुब्ध बुद्धि  को व्यक्त करता है ।

(4)   तर्जनी :- तर्जनी के अधोभाग में गुरु पर्वत होता है अंगुली से इस अंगुली से व्यक्ति के आत्म विश्वास , महत्वकांक्षा , नेतृत्व क्षमता , अहंकार , धार्मिक भावना का विचार किया जाता है । प्राय: तर्जनी की सामान्य लंबाई अनामिका से मामूली कम होती है । यदि तर्जनी अधिक छोटी रही तो उस व्यक्ति में आत्मविश्वास में कमी रहती है । यदि तर्जनी , अनामिका से लंबी हो तो वह व्यक्ति भारी महत्वकांक्षी होती है । नेतृत्व प्राप्त करने के लिए उतावले रहते है ।

(5)   अंगुष्ठ (अंगूठा) :- अंगुलियों को मिलने पर यदि तर्जनी के मूल पर्व को अंगुष्ठ छूता प्रतीत हो सामान्य या लंबा अंगुष्ठ शुभ माना जाता है । लंबा अंगुष्ठ आकर्षक व्यक्तित्व को प्रकट करता है । यह व्यक्ति उत्साहित रहता है । कुछ विशेष कर दिखाने की तीव्र आकांशा रहेती है । ऐसा व्यक्ति विश्व प्रसिद्धि पाने की क्षमता रखता है ।

           यदि अंगुष्ठ तर्जनी मूल तक यदि नहीं पहुंचता तो ऐसा व्यक्ति आत्मबल में कमी महसूस करता है । प्राय: इच्छा शक्ति नगण्य होती है । ऐसे व्यक्ति प्राय: परम्परावादी हठी और शीघ्र घबरानेवाले व्यक्ति होता है । प्राय: लचीला अंगुष्ठ वाला व्यक्ति संवेदन शील या भावुक होता है । वे दूसरों की बातों में जिद्दी भी होते है । अंगुष्ठ को कडा होना जानने के लिए अंगुष्ठ के पीछे झुकाने पर भी न झुके तो वह कडा अंगुष्ठ माना जाता है ।

अंगुलियों के बारे में अन्य तथ्य

1-     सीधी अंगुलियाँ हाथ में एक अति उत्तम गुण है । सारी अंगुलियाँ सीधी होने पर व्यक्ति सफल व निरंतर उन्नति करने वाला होता है ।

2-     सभी अंगुलियाँ तिरछी होने पर हाथ पतला होने पर व्यक्ति लापरवाह  होते हैं ।

3-     यदि सभी अंगुलियों में 3 के स्थान पर 4 पर्व हो तो व जेल यात्रा का लक्ष्ण होता है ।

4-     अंगुलियों में छिद्र होना क्रांतिकारी होने का लक्ष्ण है ।  यह दरिद्रता का भी लक्ष्ण है ।

5-     अंगुलियाँ लंबी तथा पर्व भी लंबे हो तो व्यक्ति सौभाग्यशाली होता है ।

6-     अंगुली अधिक छोटी होना स्वार्थी व क्रूर  प्रकृति का संकेत देती है ।

7-     तर्जनी अंगुली का मध्यमा के बराबर होना हुकूमत करने की प्रबल इच्छा प्रकट करती है ।

8-     अनामिका तर्जनी से बड़ी होने पर साहित्य से प्रेम होता है

9-     मध्यमा से अनामिका अधिक छोटी होने पर व्यक्ति दुखी रहता है ।

10-  अनामिका कनिष्ठका से बराबर होने पर व्यक्ति वाकचातुर्य में प्रवीण होता है ।

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