हिलसा डिप्लोमेसी
भारत-बांग्लादेश रिश्ते की प्रतीक है हिलसा डिप्लोमेसी
पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजन को काफी धूम धाम से मनाया जाता है। इसी दौरान यहां हिलसा मछली की डिमांड भी काफी बढ़ जाती है। लेकिन इस बार पश्चिम बंगाल को हिलसा मछली की कमी देखनी पड़ रही है। दुनिया में सबसे ज्यादा हिलसा मछली का उत्पादन करने वाले बांग्लादेश ने भारत में हिलसा के निर्यात पर रोक लगा दी है। बांग्लादेश में मत्स्य पालन विभाग की सलाहकार फरीदा अख्तर का कहना है कि हिलसा बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली है लेकिन यह इतनी महंगी है कि गरीब लोग इसे नहीं खरीद सकते। प्रतिबंध के बावजूद हिल्सा बांग्लादेश से भारत जाती रही है।[१]
इतिहास[सम्पादन]
1996 में शुरू हुई थी हिलसा प्रथा[सम्पादन]
हिलसा मछली डिप्लोमसी की प्रथा 1996 में शुरू हुई, जब शेख हसीना ने गंगा जल बंटवारे संधि पर हस्ताक्षर करने से ठीक पहले पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु को हिल्सा उपहार में दी थी। 2019 में शेख हसीना ने सद्भावना के तौर पर दुर्गा पूजा के दौरान भारत को 1 हजार टन हिलसा के निर्यात की अनुमति दी थी। पद्मा नदी में पाई जाने वाली हिलसा मछली की मांग न केवल पश्चिम बंगाल में है, बल्कि दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, झारखंड और बिहार के बाजारों में भी इसकी खूब मांगे हैं। न केवल दुर्गा पूजा बल्कि पोइला बैसाख के दौरान भी इसकी खूब मांग होती है।[२]
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- ↑ "Hilsa: The end of fish diplomacy between India and Bangladesh?" (en-GB में). https://www.bbc.com/news/articles/c2l15j4dq9po.
- ↑ "Bangladesh targets Indian plate and palette, bans Padma hilsa for Durga Puja" (en में). 2024-09-09. https://www.indiatoday.in/india/story/bangladesh-bans-padma-ilish-hilsa-diplomacy-to-india-west-bengal-durga-puja-sheikh-hasina-dhaka-military-interim-government-2596348-2024-09-09.