ॐ मंदिर, पाली, राजस्थान
ॐ मंदिर[सम्पादन]
उत्तर भारत की नागर वास्तुशैली में विश्व के सबसे पहले और सबसे बड़े 'ॐ' मंदिर का 250 एकड़ में निर्माण हुआ है। मंदिर की ऊंचाई 135 फ़ीट है और कुल 4 खण्डों में मंदिर विभाजित है। इसमें 1 खण्ड पूरा जमीन के नीचे है और तीन जमीन के ऊपर की तरफ है। एक जप माला में 108 मोती होते है सो इसी कारण मंदिर में 108 कमरे हैं। भगवान शिव के 1008 नामों के अनुरूप आकृतियां मंदिर की दीवारों पर बनायी गयी हैं। पाली जिले में शिव मंदिरों की सूची में गहरा प्रभाव डालने के लिए स्वामीजी ने मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंग भी स्थापित किये हैं। इन ज्योतिलिंगो को देश की 12 पवित्र नदियों के जल से जलाभिषेक कर स्थापित किया गया है ताकि ज्योतिर्लिंग जागृत हो सके।
वैदिक वास्तुशास्त्र का उपयोग मंदिर के हर कोने को बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया है। इसीलिए मंदिर का हर कमरा ब्रह्मांडीय ऊर्जा शक्ति सोख सके यह ध्यान में रख कर बनाया गया है।
इस नव निर्मित मंदिर की मूर्तियाँ ओडिशा के कारीगरों द्वारा बनाई गई हैं। मध्य में गुरु माधवानन्द की समाधि है। ऊपरी भाग में महादेव लिंग रूप में विराजे हैं। यह लिंग स्फटिक का बना है और मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है। शिवलिंग के इस कक्ष की छत पर ब्रह्मांड की आकृति बनाई गई है। पवित्र "ॐ" चिन्ह में बिंदु दर्शाने के लिए एक 9 मंजिला इमारत बनाई गई है। बिंदु के ऊपर सूर्य मंदिर है। इसी मंदिर के नीचे पानी कि टँकी भी बनाई गई है। मंदिर भवन में एक पुस्तकालय, कॉन्फ्रेंस हॉल और दुकाने भी बनाई गई है।
स्वामी महेश्वरानंद[सम्पादन]
स्वामी महेश्वरानंद जी महाराज के गुरु, ब्रह्मलीन पूज्य महाराज श्री स्वामी माधवानंद पुरी को पाली के गांव वासी शिव अवतार मानते थे। पाली के ॐ मंदिर को अद्वितीय बनाने के लिए स्वामी माधवानंद जी की समाधी के पास सप्त ऋषियों की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं। उन्हीं की प्रेरणा और आशीर्वाद से स्वामी महेश्वरानंद महाराज जी ने विश्वदीप गुरुकुल बनवाया था। दो सौ स्तम्भों को अलग-अलग देवी देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं।
बाहरी कड़ियाँ
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