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Franklin's lost expedition

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फ्रांकलिन की खोई हुई एक्सपेडिशन[सम्पादन]

फ्रांकलिन की खोई हुई एक्सपेडिशन ब्रिटिश नौसेना द्वारा 1845 में आयोजित एक असफल एक्सपेडिशन था जिसका नेतृत्व कैप्टन सर जॉन फ्रांकलिन ने किया था। इसमें दो जहाज़ थे: एचएमएस इरेबस और एचएमएस टेरर। इस एक्सपेडिशन का उद्देश्य उत्तरी अमेरिका में अनविहित क्षेत्रों का मानचित्रण करना और उत्तर-पश्चिमी मार्ग की खोज करना था।

एक्सपेडिशन में 129 अधिकारी और सैनिक शामिल थे, जिनमें से सर जॉन फ्रांकलिन, फ्रांसिस क्रोजियर, और जेम्स फिटजेम्स समेत कई प्रमुख अधिकारी शामिल थे। इस एक्सपेडिशन ने 19 मई 1845 को इंग्लैंड से प्रस्थान किया और ग्रीनलैंड और कनाडा के आर्कटिक क्षेत्रों में अपना सफर जारी रखा।

1846 में, एरेबस और टेरर किंग विलियम आइलैंड के निकट बर्फ में फँस गए, जिसके परिणामस्वरूप लंबे समय तक वहाँ फँसे रहे। अप्रैल 1848 में, फ्रांकलिन की मौत के बाद, बचे हुए सदस्यों ने जहाज़ों को छोड़ दिया और पैदल चलकर कनाडा के मेनलैंड की ओर निकलने का प्रयास किया, लेकिन उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली।

1848 से, ब्रिटिश नौसेना और अन्य शोधकर्ताओं ने इस एक्सपेडिशन की खोज के लिए कई अभियान भेजे, जिनमें से कई असफल रहे। 1859 में, एक नोट मिला जिसमें जहाज़ों को छोड़ने और बचे हुए सदस्यों के अंतिम इरादे का उल्लेख था, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि सारे सदस्य मर चुके थे।

पृष्ठभूमिका[सम्पादन]

इस एक्सपेडिशन का इतिहास और परिणाम पर कई पुस्तकें, फिल्में, और टेलीविजन शो बने हैं। इसकी खोज में लगे अभियानों और इस क्षेत्र के निवासियों के साथ इंटरैक्शन ने इसके इतिहास को और अधिक समृद्ध बनाया है।

यह एक्सपेडिशन आज भी एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना माना जाता है और आर्कटिक क्षेत्र और ब्रिटिश नौसेना के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी स्मृति में कई स्मारक और यादगारें बनाई गई हैं, जो इस असफल लेकिन महत्वपूर्ण एक्सपेडिशन को याद करती हैं।



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