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गोरमघाट

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मगरांचल राज्य के मध्य अरावली क्षेत्र की सुरम्यवादियों में स्थित 'गोरमघाट' आस्था व पर्यटन आकर्षण का संगम स्थल है। यह संगम स्थल यहां पहुंचने वाले हरेक पर्यटकों व आस्थावानों को रोमांच से भर देता है।

आवागमन[सम्पादन]

उदयपुर शहर से करीब 136 किलोमीटर दूर गोरमघाट, रावली टॉडगढ़ अभयारण्य की प्राकृतिक छटा और इसके मध्य जोगमंडी वाटर फॉल देखकर हर कोई रोमांचित हो उठता है। यहां मीटर गेज पर धीमी गति से चलने वाली सात डिब्बों वाली मावली-मारवाड़ ट्रेन ही रोमांच का सफर करवाती है।[१] मानसून शुरू होते ही यह ट्रेन गोरमघाट के रेलवे स्टेशन खामली घाट तक जाती है और इसमें रोमांचक सफर करने वाले पर्यटक ही देखने को मिलते हैं।[२] ब्रिटिश काल के समय का ट्रैक और उस पर से होकर गुजरती मीटर गेज ट्रेन मावली रेलवे स्टेशन से रवाना होकर देवगढ़ क्षेत्र के खामली घाट रेलवे स्टेशन पहुंचती है। अब राजसमंद जिले में इस दर्रा से उदयपुर - जोधपुर रेलमार्ग गुजरता है।[३] गोरम घाट को राजस्थान का छोटा कश्मीर है।[४]


गोरमघाट[सम्पादन]

गोरम घाट राजसमंद जिले में है।[५] यहां सन् १९३८ ई. में अंगेज प्रशासन के द्वारा घुमावदार घाटी[६], पहाड़ों, तेज ढलान व गहरी खाईयों में ८० से ३५० फीट ऊंचे पुल बनाकर रेल्वे लाइन का निर्माण किया गया। मावली मारवाड़ जंक्शन रेल्वे खण्ड के मार्ग में कामलीघाट रेल्वे स्टेशन से १४ किलोमीटर दूर गोरमघाट स्टेशन है।[७] गोरम घाट मेवाड़ और मारवाड़ की संधि पर स्थित 'गोरमघाट' नाथ सम्प्रदाय का प्रसिद्ध केन्द्र हैं।[८] गोरम - घाट को गौरम - पहाड़ भी कहते हैं।[९] इस गोरमघाट स्टेशन के पीछे स्थित पहाड़ पर गोरक्षनाथ (गौरखनाथ) ऋषि ने तपस्या की, बाद में इनकेे शिष्य गौरम राजा के नाम से इस पहाड़ व स्थान का नामकरण हुआ। यह पहाड़ मगरांचल राज्य में सबसे ऊँचा पहाड़ है, जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से ३०७५ फीट है। यह सघन वनों से आच्छादित रमणीय व दर्शनीय है। स्टेशन से दो कि.मी. पहले दर्शनीय स्थल जोगमण्डी है जहां बारिश के दिनों में ८० फीट ऊंचा जलप्रपात पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है। शैव साम्प्रदाय के ऋषि गोरखनाथ के शिष्य आयसजी सुन्दरवन जी ने गोरमघाट पहाड़ पर गोरम मन्दिर का निर्माण आषाढ़ सुदी नवमी सम्वत १८५१ (सन् १७९५ ई.) में करवाया था। इस मन्दिर के निर्माण में उदयपुर महाराणा भीमसिंह व देवगढ़ रावजी गोकुलदास ने भी सहयोग दिया था।[१०]

गोरमपहाड़ के १० किलोमीटर दायरे की भूमि ऋषियों, मुनियों व साधु-संतों की तपोभूमि रही है, जिसका कण-कण अपनी पवित्रता व अलौकिकता लिए हुए है। मारवाड़मेवाड़ के मध्य मगरांचल राज्य की यह पवित्रतम स्थली पर्यटन व धार्मिक महत्व की है जहां छोटे-बड़े कई उल्लेखनीय महत्व के स्थान है। इस छोटे से क्षेत्र में इतने चमत्कारिक, दर्शनीय एवं धार्मिक महत्व के स्थान है, यह आश्चर्य व गर्व का विषय ही है।

मुख्य आकर्षण[सम्पादन]

बाहरी कड़ियाँ[सम्पादन]

सन्दर्भ[सम्पादन]


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  1. "ये है राजस्थान की 'टॉय ट्रेन', शिमला की टॉय ट्रेन जैसा होता है सफर". https://www.amarujala.com/photo-gallery/jaipur/mavali-marwar-junction-broadguage-line-sanctioned-by-rail-ministry. अभिगमन तिथि: 24 सितंबर 2017. 
  2. "गोरमघाट में ट्रेन सफारी का उठाया आनंद". https://udaipurtimes.com/hindi/enjoyed-train-safari-in-gormaghat/c74416-w2859-cid123275-s10696.htm. अभिगमन तिथि: 24 अगस्त 2015. 
  3. कुंवर कनक, सिंह राव. DHAROHAR SAMANYA GYAN GUIDE BOOK 2022- KUNWAR KANAK SINGH RAO. प्रभात प्रकाशन. https://www.google.co.in/books/edition/DHAROHAR_SAMANYA_GYAN_GUIDE_BOOK_2022_KU/nVFREAAAQBAJ?hl=en&gbpv=1&dq=%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%9F&pg=PA13&printsec=frontcover. 
  4. "राजस्थान का छोटा कश्मीर". https://humbhartiya.co.in/goram-ghat/. अभिगमन तिथि: 6 जुलाई 2021. 
  5. वाईसीटी, विशेषज्ञ टीम. QUICK REVISION CAPSULE. युवा प्रतियोगिता टाइम्स. https://www.google.co.in/books/edition/QUICK_REVISION_CAPSULE/ZN4SEAAAQBAJ?hl=en&gbpv=1&dq=%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%9F&pg=PA61&printsec=frontcover. 
  6. Rajasthan ka bhugol. राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी. https://www.google.co.in/books/edition/R%C4%81jasth%C4%81na_k%C4%81_bh%C5%ABgola/2zOAAAAAMAAJ?hl=en&gbpv=1&bsq=%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%9F&dq=%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%9F&printsec=frontcover. अभिगमन तिथि: 6 अक्टूबर 2008. 
  7. Khurśīda, Bhāṭī. Gurjaroṃ ke ārādhya avatāra Bhagavāna Śrī Devanārāyaṇa Jī Mahārāja. Bī. Ḍī. Gurjara. https://www.google.co.in/books/edition/Gurjaro%E1%B9%83_ke_%C4%81r%C4%81dhya_avat%C4%81ra_Bhagav/m_IMAAAAIAAJ?hl=en&gbpv=1&bsq=%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%9F&dq=%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%9F&printsec=frontcover. अभिगमन तिथि: 12 जून 2006. 
  8. अर्जुन सिंह, शेखावत. Rājasthānī nibandha saṅgraha aṇa bolyā bola. राजस्थान ग्रंथागरी. https://www.google.co.in/books/edition/R%C4%81jasth%C4%81n%C4%AB_nibandha_sa%E1%B9%85graha/tG8FAAAAMAAJ?hl=en&gbpv=1&bsq=%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%9F&dq=%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%9F&printsec=frontcover. अभिगमन तिथि: 17 अगस्त 2006. 
  9. Prakāśa Nātha, Tantreśa. Rājasthāna kā Nātha sampradāya: Nātha sampradāya kā udbhava aura vikāsa, cāroṃ yugoṃ meṃ Nātha sampradāya kī vidyamānatā, Rājasthāna ke navanātha caurāsī siddha, Nātha pramprayeṃ, Nātha siddhoṃ ke camatkāra, Maṭha-mandira, Nātha sr̥shṭi, Nātha-sampradāya kī dena ādi. आर्य ब्रदरसा बुका सेलारा. https://www.google.co.in/books/edition/R%C4%81jasth%C4%81na_N%C4%81tha_itih%C4%81sa/WNUMAAAAIAAJ?hl=en&gbpv=1&bsq=%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%9F&dq=%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%9F&printsec=frontcover. अभिगमन तिथि: 9 जून 2006. 
  10. "राजस्थान में गोरम घाट मंदिर". https://kzlife.info/first/goram-ghat/yJ-rqclhX2l-Y5M. अभिगमन तिथि: 19 मई 2022. 


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