द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है।[१] इस स्तोत्र में भारत में स्थित भगवान शिव की १२ ज्योतिर्लिंगों का वर्णन किया गया है। हिन्दू धर्म के अनुयायी एवं शिव भक्तों द्वारा इस स्तोत्र का पाठ किया जाता है। इस स्तोत्र कि रचना "श्रीमच्छंकाराचार्य" द्वारा की गयी है। अधिक जानकारी हेतु कृपया गीताप्रेस की किताब "शिवस्तोत्ररतनाकर" (आवृत्ती विक्रम संवत २०७९) कोड १४१७ पुष्ट ६७ पढे।
स्तोत्र[सम्पादन]
“ | द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग स्तोत्रम् |
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये || १||
तमर्जुनं मल्लिकपूर्वमेकं नमामि संसारसमुद्रसेतुम् || २||
अकालमृत्योः परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम् || ३||
सदैवमान्धातृपुरे वसन्तमोङ्कारमीशं शिवमेकमीडे || ४||
सुरासुराराधितपादपद्मं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि || ५||
सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकं श्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये || ६||
सुरासुरैर्यक्ष महोरगाढ्यैः केदारमीशं शिवमेकमीडे || ७||
यद्धर्शनात्पातकमाशु नाशं प्रयाति तं त्र्यम्बकमीशमीडे || ८||
श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तं रामेश्वराख्यं नियतं नमामि || ९||
सदैव भीमादिपदप्रसिद्दं तं शङ्करं भक्तहितं नमामि || १०||
वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये || ११||
वन्दे महोदारतरस्वभावं घृष्णेश्वराख्यं शरणम् प्रपद्ये || १२||
स्तोत्रं पठित्वा मनुजोऽतिभक्त्या फलं तदालोक्य निजं भजेच्च || १३||
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सन्दर्भ[सम्पादन]
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