पुरूषोत्तम दास वैश्य
पुरुषोत्तम दास वैश्य (17 मार्च, १९२४ – 08 मार्च, 2008) (अंग्रेजी Dr. P. D. Vaishya) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक थे जिन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण शोध किए। [१]वह ग्वालियर के पहले पोस्ट ग्रेजुएट फिजिशियन थे। वह अपने समय में ग्वालियर के सबसे मशहूर चिकित्सक थे और ग्वालियर के अनेक मशहूर लोगों के फैमिली डाक्टर थे। वह न केवल बेहतरीन चिकित्सक थे बल्कि बहुत ही बेमिसाल व्यक्तित्व वाल इंसान थे। अपने परिवार में वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पहली बार एमबीबीएस की उपाधि हासिल की और प्रशिक्षित चिकित्सक बने। उन्होंने 1955 में ग्वालियर रिजनल मेडिकल कालेज से एमबीबीएस किया। उनकी प्रेरणा से उस परिवार की तीन पीढ़ियों में 35 सदस्य चिकित्सक बने।
उनके पुत्र डा. राजू वैश्य देश के प्रमुख आर्थोपेडिक सर्जन हैं और जो नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में वरिष्ठ आर्थोपेडिक एवं ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन हैं और उन्होंने आर्थोपेडिक सर्जरी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध किए हैं।
आरंभिक जीवन[सम्पादन]
उनका जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में 17 मार्च, १९२४ को वल्लभ दास खेतावत और चमेली बाई के परिवार में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा ग्वालियर के गोरखी उच्च माध्यमिक विद्यालय में हुई।
इसके बाद उन्होंने ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (अब लक्ष्मी बाई कालेज) से पढ़ाई की जहां से भारत के प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेई ने भी शिक्षा पाई थी। श्री अटल विहारी वाजपेई ने ग्वालियर से ही अपनी राजनीति की शुरूआत की और ग्वालियर के लश्कर क्षेत्र से विधायक थे और सर्राफा बाजार स्थित डा. पी डी वैश्य के घर आते रहते थे।
चिकित्सा की शिक्षा[सम्पादन]
उन्होंने 1955 में ग्वालियर रीजनल मेडिकल कालेज से एमबीबीएस किया। उन्होंने 1963 में एमडी (मेडिसीन) की डिग्री हासिल करने के बाद ग्वालियर के सर्राफा बाजार में क्लिनिक शरू की। वह अपने समय में ग्वालियर के सबसे मशहूर चिकित्सक थे और ग्वालियर के अनेक मशहूर लोगों के फैमिली डाक्टर थे। वह न केवल बेहतरीन चिकित्सक थे बल्कि बहुत ही बेमिसाल व्यक्तित्व वाल इंसान थे। वह 1966 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ग्वालियर शाखा के सचिव बने।
पुरस्कार[सम्पादन]
- मेदाता रत्न : समाज की उल्लेखनीय सेवा के लिए ग्वालियर की मेदाता पंचायत से ''मेदाता रत्न'' पुरस्कार से सम्मानित
- सर्वश्रेष्ठ जेसीओटी शोध पत्र पुरस्कार[२]
चिकित्सा अनुसंधान एवं प्रकाशन[सम्पादन]
- वारफरिन सोडियम का क्लिनिकल परीक्षण (Clinical trial with Warfarin sodium by Dr. PD Vaishya, Dr R S Mehta & Dr. L K Parashar), आर एस मेहता और एल के पराशर के साथ, जर्नल एसोसिएशन फिजिशियंस इंडिया, फरवरी, 1066, पेज — 115 से 120[३]
- टेटनस : 1000 मामलों का एक अध्ययन (TETANUS; A STUDY OF 1,000 CASES by Dr, P N LAHA & Dr. P. D VAISHYA), पी एन लाहा के साथ, जर्नल आफ मेडिकल एसोसिएशन, 16 अप्रैल 1965, पेज 422 से 436[४]
- लीवर की पोर्टल सिरोसिस में प्लाज्मा मैग्नेशियम (PLASMA MAGNESIUM IN PORTAL CIRRHOSIS OF THE LIVER by Dr. P N LAHa & Dr. P D VAISHYA). पीएन लाहा के साथ, जर्नल एसोसिएशन फिजिशंस् आफ इंडिया, अक्तूबर, 1963, पेज —821 से 824[५]
संदर्भ[सम्पादन]
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- ↑ "P D VAISHYA's scientific contributions" (अंग्रेजी में). https://www.researchgate.net/scientific-contributions/2482096_P_D_VAISHYA.
- ↑ "Dr. PD Vaishya's best JCOT paper award of the year" (अंग्रेजी में). http://www.delhiortho.org/pdf/JCOT_Award13sept17.pdf.
- ↑ "Clinical trial with Warfarin sodium" (अंग्रेजी में). https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/5324506.
- ↑ "Tetanus : a Study of 1,000 Cases" (अंग्रेजी में). https://www.semanticscholar.org/paper/Tetanus%3B-a-Study-of-1%2C000-Cases.-Laha-Vaishya/5c583d6800aeb00fad68a09d10953359aa63eb9d.
- ↑ "PLASMA MAGNESIUM IN PORTAL CIRRHOSIS OF THE LIVER" (अंग्रेजी में). https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/14071781.