हीरालाल यादव
हीरालाल यादव एक दृढ़ प्रतिज्ञ कार्यकर्ता हैं। पाकिस्तान की जेलों में कैद भारतीय युद्धबंदियों और उनके परिजनों की पीड़ा हीरालाल यादव को इतनी गहरी छाप छोड़ गई कि वे लोगों में अलख जगाने के लिए अंतहीन यात्रा पर निकल पड़े। वे लोगों से मिलकर ही जागरूकता पैदा नहीं करते बल्कि युद्धबंदियों की पीड़ा उनकी कविताओं में भी झलकती है।
जीवनी[सम्पादन]
हीरालाल यादव उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के गोला कस्बा स्थित सिधारी गांव के निवासी हैं।
कार्य[सम्पादन]
हीरालाल यादव पिछले दस साल से बिना गद्दी वाली साइकिल से देश-विदेश की यात्रा करते हुए करीब 56 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर चुके हैं। उन्होंने 19 दिसम्बर 2005 से 4 जुलाई 2006 तक बिना रुके दो सौ दिन बिना गद्दी वाली साइकिल से यात्रा की। 15 हजार किलोमीटर की जुनूनी यात्रा में हीरालाल ने लोगों ने यह अपील की कि क्या भारतवासी युद्धबंदियों की खबर उनके खाक होने पर ही लेंगे। उन्होंने विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शनी लगाकर कैदियों के परिवार जनों को उनकी मुक्ति का विश्वास दिलाया है। इस प्रकार गृहस्थ जीवन का परित्याग करके उन्होंने अपने इस आदोलन को प्रबल बनाया है। उनके इस मिशन रिहाई ने भारत पाक के संबंधों को मधुर किए जाने वाले प्रयासों पर सवाल खड़ा कर दिया है। इन सवालों को लेकर उनकी यात्रा अभी भी जारी है।
बाहरी कड़ियाँ[सम्पादन]
- युद्धबंदियों के लिए एक अनूठा अभियान (बीबीसी हिन्दी)
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