काली बाई
काली बाई जिन्हें साक्षरता की देवी और आधुनिक हल्दीबाई के रूप मे जानी जाती है । काली बाई का जन्म डुंगरपूर के एक गाँव मे हुआ। डुंगरपूर रियासत के महारावल लक्ष्मण सिंह थे और वहाँ अंग्रेजो का शासन था।
महारावल शिक्षा के विरोध मे थे , लेकिन एक सेवा संघ ने शिक्षा का प्रचार प्रसार करते हुए डुंगरपूर मे पाठशाला खोली
महारावल एसा नही चाहते थे इसलिए मजिस्ट्रेट पुलिस और सेना को साथ लेकर पाठशाला बंद कराना चाहते थे ।
19 जून को वे सब हथियार लेकर पाल गाँव स्थिति पाठशाला को बंद कराने गये । पाठशाला के मालिक नाना भाई खाट थे और
अध्यापक सेंगाभाई थे , दोनों ने पाठशाला बंद करने से मना कर दिया इसपर झगड़ा बड़ गया और नाना भाई खाट को बंदूक की गोली लगने से मारे गये , सेंगाभाई को रस्सी से गाड़ी के पीछे बांध दिया , वहाँ खड़े किसी व्यक्ति की विरोध करने की हिम्मत नहीं हुई । लेकिन गाड़ी जब कुछ दूरी पर पहुँची तब भील गाँव की बालिका पास के ही खेत मे काम कर रही 11 वर्ष की बालिका ने साहसिक कार्य किया , उस भील बालिका ने अपने गुरु को बचाने के लिए दंतारी से रस्सी काट दी ।लोग हैरान थे क्योंकि महारावल और अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत एक नन्ही बालिका ने करी , सैनिको ने उस नन्ही बालिका पर गोलीया बरसादी और वह नन्ही बालिका इस प्रकार यह दुनिया छोड़ गई । लेकिन उस नन्ही बालिका ने दुनिया को शिक्षा के प्रति समर्पण , लगन और गुरूभक्ती सिखा गई
कालीबाई की शहिद होने की खबर भीलो को चली तब भीलो ने मारू ठोल बजा दिया जिसका अर्थ था कि अब सिधे भीलो और पुलिस के बीच लड़ाई होनी थी । इस कारण वे। सभी गाड़ी मे सवार होकर चले गए ।
और यह पूरी घटना 19 जून 1947 के दिन घटित हुुुई ।
संदर्भ[सम्पादन]
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