गृहपति
गृहपति शंकर भगवान का एक अवतार है। इसका वर्णन शिवपुराण में शतरुद्र संहिता के अध्याय 14 में उल्लेखित है।[१]
परिचय[सम्पादन]
गृहपति की माता का नाम शुचिष्मति व पिता का नाम विश्वानर है। वे नर्मदा नदी के किनारे नरमपुर नामक नगर में पैदा हुए थे। विश्वानर मुनि शांडिल्य गौत्र से थे,व शिवजी के परम भक्त थे।[२]
कहानी[सम्पादन]
शुचिष्मति व विश्वानर के विवाह के कई साल बाद शुचिष्मति ने विश्वानर से शिवजी के समान पुत्र की अभिलाषा रखी। विश्वानर ने शिवजी का तप किया, तब शिवजी ने उन्हें पुत्र रूप में जन्म लेने का वर दे दिया।[३] समय आने पर उनको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। [४]ब्रह्माजी ने उस बालक का नाम गृहपति रखा। जब वे 9 वर्ष के हुए तब नारदजी ने आकर बताया कि आपका पुत्र तो बारह साल ही जियेगा। [५] सुनकर माता पिता बहुत दुखी हुए।परन्तु उस बालक ने हँसते हुए कहा कि कोई मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकता। यह कहकर उसने एक शिवलिंग बनाकर शंकर भगवान की तपस्या की। तब शंकर भगवान ने उन्हें दीर्घायु का वर दिया व उस लिंग को अग्नेश्वर का नान दिया व खुद उसमें समाविष्ट हो गए।
इन्हें भी देखें[सम्पादन]
संदर्भ[सम्पादन]
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- ↑ संक्षिप्त शिवपुराण, गीताप्रेस गोरखपुर।
- ↑ https://hindi.speakingtree.in/blog/content-369481 गृहपति अवतार
- ↑ https://www.bhaskar.com/news/JM-JKR-DHAJ-sawan-2017-do-you-know-about-lord-shiva-s-this-incarnation-5648297-PHO.html अग्न्यावतर की कथा
- ↑ https://www.adhyatam.com/bhagvan-shiv-ke-sabhi-avatar/[मृत कड़ियाँ] शिवजी के सभी अवतार
- ↑ http://kathapuran.blogspot.com/2012/10/blog-post_4043.html शिव ने ली गृहपति की परीक्षा