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धराला कोली

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धराला (अंग्रेजी: Dharala Koli) गुजरात के कोलियों का उपनाम है।[१] धराला उन कोलियों को बोला जाता था जो तलवारबाजी में बोहत ज्यादा माहिर थे। ये खासकर तलपडे कोली होते थे।[२][३]

विद्रोह[सम्पादन]

गुजरात के खेड़ा जिले पर कब्जा करने के लिए 1803 में ब्रिटीश ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोलियों के ऊपर Disarming Act लगाया जिसके तहत कोली अपने पास हथियार नही रख सकते थे। लेकिन कोली जाती ने इस एक्ट का पुरजोर विरोद किया और मरने मारने पर उतारू हो गए। इसके बाद अंग्रेजों ने कोली जाती को खूनी जाती घोसित कर दिया।[४][५]

लेकिन कोली मुखियाओं (कोली ठाकोर, कोली पटेल) ने कचेरी में अर्जी लगाई की ब्रिटिश सरकार का कोलियों पर कोई अधिकार नही है ये सब बन्द किया जाए लेकिन कुछ नही हुआ। इसके बाद कोली ज़मीदारों ने ब्रिटिश शासित शहरों और गांव में लूट मार सूरु कर दी। ब्रिटिश सरकार ने कोलियों को चेतबनी दी लेकिन कोलियों ने ब्रिटिश सरकार को नकारते हुए बोला की ये हमारा खानदानी अधिकार है हम चाहे कुछ भी करें यह हमारा कर बसूलने का तरीका है और लंबे समय तक कोली इसी तरह ब्रिटिश सरकार की नसबन्दी करते रहे।[४][६]

1808 में कोली और ज्यादा प्रचंड हो गए और अंग्रेजी चमचो और अंग्रेजों को जान से मारने लगे और उनके हथियारों को इखट्टा कर लेते थे।

फरबरी 1808 में कंपनी ने ब्रिटिश सेना भेजी और कुछ कोलियों को बंदी बना जेल में बंद कर दिया। लेकिन अंधेरा होते होते कोली विद्रोहियों ने जेल पर ही आक्रमण कर दिया। जेल के सभी सिपाही और कर्मचारियों को मार डाला हथियार लूटे और जेल को तहस नहस करके कोलियों को छुड़ा लिया। 1810 में अंग्रेजों ने कोली के खिलाप आर्मी बनाई और बड़े पैमाने पर कोलियों को बंदी बना लिया गया और प्रिंस ऑफ वेल्स द्विप पर ले जाया गया और कुछ कोलियों को खेड़ा जेल में रखा गया। इसके बाद 500 कोलियों ने मिलकर खेड़ा जेल पर आक्रमण कर दिया और तगड़ा ही उत्पात मचा दिया सभी कोली आजाद कर लिए। लेकिन जिन कोलियों को प्रिंस ऑफ वेल्स दबिप ले जाया गया उनको नही बचा पाए। इसके बाद कोली और भी ज्यादा खूंखार हो गए। अंग्रेजों ने अपनी सेना की मात्रा बड़ाई लेकिन कुछ नही हुआ तो अंग्रेजों ने वडोदरा रियासत से मदद मांगी क्योंकि उनके पास स्थानीय जानकारी सही तरीके से थी और वडोदरा रियासत ने अपनी सेना बड़ी मात्रा में भेजी ताकि अंग्रेजों के साथ उनके रिसते और मजबूत हों। लेकिन कोलियों ने अंग्रेजी सेना और वडोदरा सेना दोनो को ही मात दे दी।[४]

इसके बाद अहमदाबाद के ब्रिटिश कलेक्टर ने सुझाब दिए कि उनको सिर्फ कोली मुखियाओं पर ही हमला करना चाहिए और ये सुझाब काम आया। लेकिन इससे सिर्फ कुछ ही कोलियों पर काबू कर पाए थे कोली 1840 तक इसी तरह लड़ते रहे। 1840 के बाद अंग्रेजों को थोड़ा आराम मिला क्योंकि अब कोली ज़मीदारी पर ज्यादा ध्यान दे रहे थे लेकिन 1857 में फिर से महाराष्ट्र और गुजरात के गांव गांव और सहर सहर में कोलियों ने अंग्रेजों के खिलाप हथियार उठा लिए थे।[४][७]

सन्दर्भ[सम्पादन]

This article "धराला कोली" is from Wikipedia. The list of its authors can be seen in its historical and/or the page Edithistory:धराला कोली.

  1. State), Bombay (India : (1883) (en में). Gazetteer of the Bombay Presidency .... Printed at the Government Central Press. https://books.google.co.in/books?id=drsMAAAAIAAJ&pg=PA75&dq=dharala+kolis&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwj-rvD4yuHkAhUaXisKHcqlBewQ6AEIHjAA#v=onepage&q=dharala%20kolis&f=false. 
  2. Balfour, Edward (1885) (en में). The Cyclopaedia of India and of Eastern and Southern Asia. Akademische Druck-u. Verlagsanstalt. https://books.google.co.in/books?id=qeA0AQAAMAAJ&pg=PA595&dq=dharala+koli&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwjhlbnCyuHkAhVWaCsKHd46DdwQ6AEIJTAB. 
  3. (en में) Gazetteer of the Bombay Presidency: Kaira and Panch Maháls. Printed at the Government Central Press. 1879. https://books.google.co.in/books?id=NLUBAAAAYAAJ&pg=PA40&dq=dharala+koli&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwjhlbnCyuHkAhVWaCsKHd46DdwQ6AEIOTAE#v=onepage&q=dharala%20koli&f=false. 
  4. ४.० ४.१ ४.२ ४.३ Chaturvedi, Vinayak (2007) (en में). Peasant Pasts: History and Memory in Western India. University of California Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780520250765. https://books.google.co.in/books?id=MzPlZSOjCpsC&pg=PA30&dq=dharala+koli&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwjRl-uUyuHkAhWYdn0KHaLRDZUQ6AEIHjAA. 
  5. Master, Alfred (1939). "Koḷī or Dhārāḷo, etc.". Bulletin of the School of Oriental Studies, University of London 9 (4): 1009–1013. ISSN 1356-1898. https://www.jstor.org/stable/607980. 
  6. Master, Alfred (1939). "Koḷī or Dhārāḷo, etc.". Bulletin of the School of Oriental Studies, University of London 9 (4): 1009–1013. ISSN 1356-1898. https://www.jstor.org/stable/607980. 
  7. Master, Alfred (1939). "Koḷī or Dhārāḷo, etc.". Bulletin of the School of Oriental Studies, University of London 9 (4): 1009–1013. ISSN 1356-1898. https://www.jstor.org/stable/607980. 


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