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नंदकिशोर पारीक

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वरिष्ठ पत्रकार और प्रख्यात स्तम्भ लेखक नंदकिशोर पारीक जयपुर के एक जनप्रिय समाचार-पत्र में अपने शहर जयपुर के बारे में अनेक वर्षों तक निर्बाध लेखन करने वाले इतिहासज्ञ और स्तम्भ-लेखक पत्रकार थे| यह आकस्मिक नहीं है कि गुलाबी नगर जयपुर के इतिहास-लेखन के सन्दर्भ में नन्दकिशोर पारीक का नाम और काम स्वतः ही स्मरण हो आता है। [१]

प्रारंभिक जीवन[सम्पादन]

नंदकिशोर पारीक [२] का जन्म 3 सितम्बर 1926 को एक सामान्य पुरोहित ब्राह्मण परिवार में हुआ। [३] उन की इतिहास एवं संस्कृति के अध्ययन व लेखन में रुचि जयपुर के दो मूर्धन्य विद्वज्जन- सर गोपीनाथ पुरोहित (जयपुर के प्रथम एम ए) और हरिनारायण शर्मा पुरोहित बी ए विद्याभूषण (संत साहित्य के उद्धारक और सुंदर ग्रंथावली व मीरा वृहद् पदावली के संपादक) के सानिध्य में बढ़ी। नन्दकिशोर पारीक ने अंग्रेजी, हिंदी साहित्य तथा कानून में स्नातक की शिक्षा के साथ विशारद की उपाधि भी प्राप्त की। विद्याभूषण जी के आशीर्वाद से 1944-46 में 'पारीक मासिक' [४] का संपादन एवं प्रकाशन उनके द्वारा आरम्भ हुआ। [५] यद्यपि यह पत्रिका एक जातीय प्रकाशन ही थी किन्तु इसका कलेवर साहित्यिक रहा और सन 1945 में विद्याभूषण के निधन के बाद इस पत्रिका का 'विद्याभूषण विशेषांक' तत्समय 'सरस्वती' और 'आजकल' जैसे प्रतिष्ठित पत्रों में प्रशंसित हुआ।

सन 1945 में वह मात्र इंटरमीडिएट के छात्र थे, तभी इन्होने 'चांदनी' मासिक का सम्पादन एवं प्रकाशन आरम्भ किया। [६] [७][८] राजस्थान का यह प्रथम मासिक था जिसमे कन्हैयालाल सहल, डॉ. इंदुशेखर, उपेंद्रनाथ अश्क, गोपाल सिंह नेपाली, भगवतीचरण वर्मा जैसे साहित्यकारों और कवियों की रचनायें प्रकाशित हुईं । बहुत ही कम और पुरातन साधनो (जैसे पाँव द्वारा संचालित ट्रेडल मशीन से) छपने वाला इसका तिरंगा आवरण और चित्रावलियाँ तब के जयपुर प्रकाशन-जगत में एक अजूबा ही थी।'

पत्रकारिता[सम्पादन]

'पारीक' पत्रिका के प्रकाशन के आसपास ही हिंदी के प्रसिद्ध पत्रकार सत्यदेव विद्यालंकार ने जयपुर के जौहरी बाजार के मनोरंजन प्रेस से साप्ताहिक 'प्रभात' निकाला था। नन्दकिशोर पारीक को उनका भी सानिध्य एवं मार्गदर्शन मिला। सन 1946 में उन्होंने जयपुर के प्रथम हिंदी दैनिक "लोकवाणी' के माध्यम से दैनिक पत्रकारिता में प्रवेश किया और पूरे एक दशक तक इस दैनिक में उपसंपादक और बाद में संपादक पद संभाला । [९] वह सन 1947 में नयी दिल्ली के अंग्रेजी दैनिक 'स्टेट्समैन' के संवाददाता नियुक्त हुए और लगभग ग्यारह वर्षों तक इस अंग्रेजी दैनिक से भी जुड़े रहे। सन 1954 के अंत में उनने सरकारी सेवा में प्रवेश किया और पत्रकार, जनसंपर्क अधिकारी, (समाचार), फीचर राइटर, उपनिदेशक, और संयुक्त निदेशक जैसे पदों पर क्रमशः पदोन्नत होते हुए जुलाई 1981 में वे राज्य-सेवा से सेवानिवृत्त हुए। [१०] उनका लिखा सरकारी साहित्य भी समय-समय पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित होता रहा। [११] जैसे वर्ष 1967-68 एवं 1968-69 में अकाल एवं बाढ़ पर उनके लिखे हुए अंग्रेजी एवं हिंदी के आलेखों को व्यापक सराहना मिली। उन्होंने विपुल पत्रकारी लेखन से परे जनसंपर्क निदेशालय में भी हिंदी एवं अंग्रेजी में प्रभूत लेखन किया है। वह सेवानिवृति के बाद लगभग डेढ़ वर्ष तक राजस्थान पत्रिका के जोधपुर संस्करण के संपादक रहे, लगभग दो वर्ष राजस्थान पत्रिका के अंग्रेजी संस्करण के समाचार संपादन का दायित्व निभाया तथा लगभग पांच वर्ष तक नयी दिल्ली से प्रकाशित अंग्रेजी दैनिक 'पैट्रियट' के संवाददाता भी रहे। प्रमुख राष्ट्रीय अंग्रेजी एवं हिंदी पत्र पत्रिकाओं में राजस्थान के इतिहास, कला, संस्कृति विषयक उनके लगभग कई सौ लेख प्रकाशित हैं। [१२] [१३]

जयपुर का इतिहास लेखन[सम्पादन]

जयपुर नगर, इसके गली मुहल्लों, साहित्य, संस्कृति, लोक और लीक से श्री पारीक को आरम्भ से ही अनूठा लगाव था। सन 1972 में जब उन्होंने राजस्थान पत्रिका में 'नगर परिक्रमा' स्तम्भ को लिखना आरम्भ किया तो जयपुर के विविध अनछुए सामाजिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक पक्ष ऐतिहासिक सन्दर्भों के साथ उजागर होते चले गए । 'नगर परिक्रमा' स्तम्भ ने अपने मेहनती स्तंभकार और अखबार दोनों को जन-जन में लोकप्रिय बना दिया। 'पारीक नगर परिक्रमा के माध्यम से जयपुर के विषय में अनवरत 26 वर्ष से अधिक समय तक प्रतिदिन अपना स्तंभ लिखते रहे जो अपने आप में एक कीर्तिमान है। 'पत्रिका के संस्थापक संपादक कर्पूर चंद कुलिश के शब्दों में "यह एक अनूठा स्तम्भ था, मुझे नहीं मालूम दुनिया के अखबारों के पूरे इतिहास में इस तरह का स्तम्भ कभी रहा भी है या नहीं"। [१४] भारत के अप्रतिम नगर जयपुर की कहानी जिस रोचकता और प्रमाणीकरण से नन्दकिशोर पारीक ने प्रस्तुत की वह इतिहास के अनुशीलन और सम्बंधित जानकारों से वैयक्तिक संपर्क के बिना संभव नहीं थी। उन्होंने इसके लिए जयपुर के गली मुहल्लों और नगर के विस्तार के साथ साथ गाँवों कस्बों की भी बार बार परिक्रमा की, घर घर दस्तक देकर लोगों से इतिहास को ज्ञात किया, उसे शब्द दिए और पाठकों को परोसा। [१५]

संस्कृत कविता के क्षेत्र में जयपुर शहर के काव्यात्मक वर्णन का जो अनूठा काम १९४७ में भट्ट मथुरानाथ शास्त्री ने जयपुर वैभवम लिख कर किया था, उसी से मानस-प्रेरणा लेते हुए पारीक ने हिंदी में अपने नगर पर लिखा| नंदकिशोर पारीक ने अपने पचासों लेखों में भट्ट जी की इसी पुस्तक के उद्धरण दिए हैं|

उन्होंने अपने इस स्तम्भ में जयपुर के राजा-रानियों और राजमहलों की चर्चा ही नहीं की, बल्कि शहर के मामूली गली-कूचों की महत्ता की विरुदावली भी रची। उन्होंने संस्कृत के महामहोपाध्यायों से लेकर उर्दू फ़ारसी के आलिम फाज़िलों की स्तुति की तो नामी गिरामी वैद्यों, हकीमों का गुणगान भी किया । शहर के बड़े-बड़े हुनरमंदों और दस्तकारों का बखान नगर परिक्रमा कॉलम में विस्तार से हुआ। जयपुर की सुंदरता और सजावट का वर्णन उन्होंने इतने विस्तार से किया कि शायद ही कोई कोर-कंगूरा उनकी कलम से अछूता रहा हो। महलों, मंदिरों, हवेलियों और बाग़ बगीचों का शब्द चित्रण भी वे करते चले गए। एक अनुमान है- जयपुर नगर की विरुदावली में उन्होने लगभग 80 लाख से अधिक शब्द जोड़े होंगे, यह अपने आप में एक दैनिक पत्र के स्तम्भ का एक कीर्तिमान है।

प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें[सम्पादन]

नगर परिक्रमा स्तम्भ में लिखे गए लेखों की उनकी आठ प्रतिष्ठित पुस्तकें अब तक प्रकाशित हुई हैं इनमें से अंग्रेजी में हैं "जयपुर दैट वाज़ : रॉयल कोर्ट एंड द सिनेरियो" तथा हिंदी में "गौरवपुरुष - सर पुरोहित गोपीनाथ", हिंदी में "राजदरबार और रनिवास [१६] [१७] '1857 का गदरकालीन जयपुर', "संघी झूंथाराम महाभियोग" [१८], "संत रामसिंह एवं उनकी सूफी भावना" तथा "जयाचार्य-एक रेखाचित्र"। अंग्रेजी और हिंदी भाषाओँ में उनकी अनेक अन्य पुस्तकें भी प्रकाशनाधीन हैं जिनमें 'साइडलाइट्स ओन राजस्थान' भी एक है|

पुरस्कार एवं उपलब्धियां[सम्पादन]

पत्रकारिता और इतिहास लेखन में अतुलनीय योगदान के लिए नन्दकिशोर पारीक को 1979 एवं 1987 में तत्कालीन मुख्यमंत्रियों द्वारा दो बार राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किया गया, राजस्थान साहित्य अकादमी तथा प्रदेश की विभिन शैक्षणिक साहित्यिक संस्थाओं की ओर से भी उन को पुरस्कृत किया जाता रहा।[१९] अक्टूबर 1997 को 'नगर परिक्रमा' के 25 वर्ष पूर्ण होने पर उनका नागरिक-अभिनन्दन किया गया जिसमे राजस्थान की लगभग 35 साहित्य/ शैक्षिक संस्थाओं ने उनके योगदान का स्मरण किया। [२०]

निधन[सम्पादन]

18 दिसंबर 1998 को जयपुर के इस अनूठे 'नागरिक' ने तिहत्तर वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। जीवनपर्यन्त उनकी कलम जयपुर शहर की आराधना करती रही, इसलिए जिस दिन उनका देहावसान हुआ उसके अगले दिन सम्मानवश राजस्थान पत्रिका समाचार पत्र ने "नगर परिक्रमा" का कॉलम बिल्कुल रिक्त छोड़ उन्हें अनूठी श्रद्धांजलि प्रदान की। उन का जयपुर विषयक लेखन एक विश्वकोश के सामान है, अनगिनत शोध छात्रों ने, विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने उनके मार्गदर्शन में ढूंढाड़ के इतिहास को समझा, आज उन्हें संसार से गए अनेक वर्ष हो चले हैं किन्तु उनके लिखे शब्द आज भी जयपुर इतिहास के प्रामाणिक सन्दर्भ हैं।

स्मृति-चिन्ह[सम्पादन]

राजस्थान सरकार के निर्देश पर जयपुर विकास प्राधिकरण ने उनके सम्मान में बापूनगर में उनके निवासस्थान की सड़क का नाम नन्दकिशोर पारीक मार्ग किया है! https://www.goodreads.com/author/show/13202995.Nand_Kishore_Pareek


सन्दर्भ[सम्पादन]


This article "नंदकिशोर पारीक" is from Wikipedia. The list of its authors can be seen in its historical and/or the page Edithistory:नंदकिशोर पारीक.

  1. https://books.google.co.in/books?id=_axjAAAAMAAJ&q=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&dq=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&hl=en&newbks=1&newbks_redir=1&printsec=frontcover&sa=X&ved=2ahUKEwj9uZe3-KP2AhUXzjgGHZAUD5E4FBDoAXoECAIQAg
  2. https://www.goodreads.com/book/show/24674207-jaipur---royal-court-and-the-seraglio
  3. https://books.google.co.in/books?id=4iRuAAAAMAAJ&q=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&dq=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&hl=en&newbks=1&newbks_redir=1&printsec=frontcover&sa=X&ved=2ahUKEwj7vJ6C9aP2AhVywTgGHdfxC5AQ6AF6BAgCEAI
  4. https://books.google.co.in/books?id=8QNuAAAAMAAJ&q=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&dq=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&hl=en&newbks=1&newbks_redir=1&printsec=frontcover&sa=X&ved=2ahUKEwj7vJ6C9aP2AhVywTgGHdfxC5AQ6AF6BAgEEAI
  5. https://books.google.co.in/books?id=yXkn5Lr1zGQC&q=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&dq=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&hl=en&newbks=1&newbks_redir=1&printsec=frontcover&sa=X&ved=2ahUKEwj7vJ6C9aP2AhVywTgGHdfxC5AQ6AF6BAgDEAI
  6. https://books.google.co.in/books?id=yXkn5Lr1zGQC&q=%27%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%A8%E0%A5%80%27+%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%95&dq=%27%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%A8%E0%A5%80%27+%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%95&hl=en&newbks=1&newbks_redir=1&printsec=frontcover&sa=X&ved=2ahUKEwjJ6auj5MT2AhXLxzgGHSIYA1wQ6AF6BAgHEAI
  7. https://books.google.co.in/books?id=8zFuAAAAMAAJ&q=%27%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%A8%E0%A5%80%27+%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%95&dq=%27%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%A8%E0%A5%80%27+%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%95&hl=en&newbks=1&newbks_redir=1&printsec=frontcover&sa=X&ved=2ahUKEwjJ6auj5MT2AhXLxzgGHSIYA1wQ6AF6BAgGEAI
  8. https://books.google.co.in/books?id=PZMcAAAAMAAJ&q=%27%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%A8%E0%A5%80%27+%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%95&dq=%27%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%A8%E0%A5%80%27+%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%95&hl=en&newbks=1&newbks_redir=1&printsec=frontcover&sa=X&ved=2ahUKEwjJ6auj5MT2AhXLxzgGHSIYA1wQ6AF6BAgFEAI
  9. https://books.google.co.in/books?id=VV0LAAAAIAAJ&q=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&dq=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&hl=en&newbks=1&newbks_redir=1&printsec=frontcover&sa=X&ved=2ahUKEwjE3I6_9qP2AhXNwzgGHUevCpA4ChDoAXoECAkQAg
  10. https://books.google.co.in/books?id=HXpYAAAAMAAJ&q=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&dq=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&hl=en&newbks=1&newbks_redir=1&printsec=frontcover&sa=X&ved=2ahUKEwjE3I6_9qP2AhXNwzgGHUevCpA4ChDoAXoECAIQAg
  11. https://books.google.co.in/books?id=vwAesxjmROMC&q=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&dq=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&hl=en&newbks=1&newbks_redir=1&printsec=frontcover&sa=X&ved=2ahUKEwjE3I6_9qP2AhXNwzgGHUevCpA4ChDoAXoECAQQAg
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  13. https://books.google.co.in/books?id=KgplAAAAMAAJ&q=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&dq=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&hl=en&newbks=1&newbks_redir=1&printsec=frontcover&sa=X&ved=2ahUKEwjE3I6_9qP2AhXNwzgGHUevCpA4ChDoAXoECAgQAg
  14. https://books.google.co.in/books?id=nf8HAAAAIAAJ&q=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&dq=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&hl=en&newbks=1&newbks_redir=1&printsec=frontcover&sa=X&ved=2ahUKEwj7vJ6C9aP2AhVywTgGHdfxC5AQ6AF6BAgFEAI
  15. https://books.google.co.in/books?id=x9xNAAAAYAAJ&q=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&dq=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&hl=en&newbks=1&newbks_redir=1&printsec=frontcover&sa=X&ved=2ahUKEwjE3I6_9qP2AhXNwzgGHUevCpA4ChDoAXoECAoQAg
  16. "https://web.archive.org/web/20190827173434/https://epustakalay.com/book/16689-raj-darbar-aur-ranivas-by-nk-pareek/,,
  17. https://books.google.co.in/books?id=p0ZuAAAAMAAJ&q=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&dq=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&hl=en&newbks=1&newbks_redir=1&printsec=frontcover&sa=X&ved=2ahUKEwjE3I6_9qP2AhXNwzgGHUevCpA4ChDoAXoECAcQAg<?
  18. https://books.google.co.in/books?id=GxgrAAAAMAAJ&q=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&dq=%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8B%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%95&hl=en&newbks=1&newbks_redir=1&printsec=frontcover&sa=X&ved=2ahUKEwjgl_G_g6T2AhXp3jgGHUBWDpA4HhDoAXoECAMQAg
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