बिसेन
वंश- विशेन
विसेन वंश के विषय में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी बताता हूँ विशेन वंश श्री राम जी के अनुज लक्ष्मण जी के पुत्र व मल्ल देश के राजा चन्द्रकेतु के वंशज है उत्तर भारत में हम मझौलीराज(देवरिया)जो पूर्व में (मल्लमहाजनपद के नाम से विख्यात था जिसके संस्थापक राजा पृथ्वीमल्ल जी जो इस वंश के सबसे ताकतवर राजा लगभग 1500 वर्ष पूर्व) हमारा गोत्र - वत्स कुलदेवी- दुर्गा वेद- सामवेद /यजुर्वेद यज्ञोपवीत -12 वर्ष की उम्र में करते है। और तलवारो की पूजा करते है।
‘चंद्रकेतोश्च मल्लस्य मल्लभूम्यां निवेशिता, चंद्रकांतेति विख्याता दिव्या स्वर्गपुरी यथा’ वाल्मीकि रामायण, उत्तरकाण्ड 102।
विश्वसेन के वंशज विसेन या विशेन कहलाये। उत्तर प्रदेश में -विशेन वंश के चौरास्सीवें शासक भीम मल्ल (१३११-१३६६ई०.) ने सुकेत(बीरसेन जी संस्थापक) गोंडा (मझौली राज्य के शासक नृपल के छोटे पुत्र राजकुमार प्रताप मल्ल ने गोंडा राज्य की स्थापना की आगे चलकर गोंडा राज्य के शासक मान सिंह जी द्वितीय पुत्र भावनी सिहं ने भिनगा राज्य की स्थापना की। राजा भावनी सिहं की पॉचवी पीढी मे राजा शिव सिहं हुए जो उच्य कोटी के साहित्कार थे। राजा शिव सिहं ने अमर कोष और अदभूत रामायण का हिन्दी अनुवाद किया था। १८५७ ई० के स्वतन्त्रता संग्राम मे नरहरपुर के विशेन राजा हरि प्रसाद मल्ल ने अंग्रेजो के विरूद्ध जमकर संघर्ष किया प्रतापगढ से आकर बदलापुर मे बसे विशेन क्षत्रिय बन्धु लोक मल्ल ,रूपमल्ल व हरीमल्ल के वंशज बाबू बहादुर जी ने आस पास के लोगो को एकत्र कर १८५७ के स्वतंत्रा संग्राम मे अंग्रेजो के विरूद्ध संघर्ष किया। १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम में गोरखपुर जिले मे बरहज(वर्तमान में देवरियाजनपद) के पूर्व मे नदी किनारे बसे पैना गांव के विशेन क्षत्रियों की अलग ही पहचान बनीं। गांववासियों ने अंग्रेजो की रसद लूटी तथा अंग्रेजो को नदी मे डुबा डुबा कर मारडाला। ३१ जुलाई १८५७ को अंग्रेजों ने थल एंव जल दोनो प्रकार की सेना लेकर पैना गांव पर अाक्रमण किया लेकिन छ: सौ राजपुत वीरो ने अंग्रेज सेना को पीछे खदेड दिया। लेफटिनेन्ट पुल्लन बिगेडियर डगलस और कर्नल रूक्राफट के साथ गोरखा फौज के आ जाने पर गांव वाले मुकाबले मे टिक नही पाये।
ठाकुर अजारायल सिहं,अयोध्या सिहं,परम दयाल सिहं के नेतृत्व मे हजारो गांववासी शहीद हो गये तथा क्षत्रिणियों ने नदी में कूद कर तथा अग्नि में भस्म होकर चित्तौड के जौहर को पैना गांव मे पनु: दोहरा दिया।
उन्नाव (उनवंत सिंह विशेन जी 1830 के आसपास संस्थापक जिनके द्वारा उन्नाव बसाया गया था) सुल्तानपुर। मनकापुर बलरामपुर।
गोंडा राज्य के शासक राम सिहं के द्वितीय पुत्र भवानी सिहं ने भिनगा (बहराइच) राज्य की स्थापना की आगे चल कर भिनगा मे महान राजा उदय प्रताप सिहं राजपरिवार का समाजिक विकास के अतरिक्त शैक्षणिक बिकास मे भी महत्वपूर्ण व सराहनीय योगदान रहा था उन्होने वाराणसी मे सन् १९०९ में हेवेत्त क्षत्रिय हाई स्कूल की स्थापना की १९२१ मे इंटरमीडिएट कॉलेज मे अपग्रेड हुआ जो बाद मे उदय प्रताप इंटरमीडिएट कॉलेज के नाम से जाना गया बाद मे १९४९ में डिग्री कॉलेज मे अपग्रेड हुआ जिसका नाम उदय प्रताप अॉटोनोमस कॉलेज हुआ राजा साहब ने अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा संगठन का निर्माण किया था लखीमपुर। कुंडा (प्रातपगढ़) और हिमांचल में सुकेत (मंडी) तथा बिहार के पुनक में विशेन वंश का राज रहा है।
तथा मझौलीराज(देवरिया) उत्तर भारत का सबसे ताकतवर राजघराना जिसका अयोध्या से पाटलिपुत्र तक शासन रहा है। (आप इसे विशेन वंश वाटिका में देख सकते है )
हम सभी विशेन जहाँ भी है मझौलीराज राजघराने से ही माइग्रेट हुए है। जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के देवरिया जिले में स्थित है। हम विशेन उत्तर प्रदेश में - देवरिया,कुशीनगर,गोरखपुर,महराजगंज,मऊ,उन्नाव,कानपुर,लखीमपुर,लखनऊ,प्रतापगढ़, फतेहपुर,बलिया जनपद में पाँच गाँव टेंगरही,चौरा,कथरिया,पिपरा,दौलतपुर,इटही हैं तथा इसी जिले में बावन 52 गाँव एक जगह हैं ,गाजीपुर,वाराणसी,मिर्जापुर,गोंडा,सुल्तानपुर,कालाकांकर,भदोही(संत रविदास नगर),बस्ती,आजमगढ़,आंबेडकर नगर,जौनपुर,इलाहाबाद,बहराइच, ,बलरामपुर,श्रावस्ती आदि जगहों में है।
बिहार में -सीवान,गोपालगंज,छपरा (महरौडा),भोजपुर,बक्सर,मोतिहारी,पूर्णिया,कटिहार,बेगुसाराय,मधेपुरा,डुमरिया,पुनक आदि जगहों में मौजूद है।
हिमांचल- सुकेत (मंडी)राजघराना,कांगड़ा- बरोह (बरोहड़)
उत्तराखंड और हरियाणा तथा मध्य प्रदेश के - रीवा,सतना में भी मौजूद है।
सतना जिला के खोहर गांव में विसेन राजपूत रहते हैं ए सब ठाकुर जगतधारी सिंह विसेन के परदादा के वंस है आज से लगभग 217 वर्ष पहले ठाकुर शारदा सिंह विसेन उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से खोहर आ गये थे सन्1801 में और इनकी संख्या सतना बहुत कम है लेकिन उत्तर प्रदेश में जादा है
नेपाल की तराई में भी अच्छी तादाद में मौजूद है।
===हम विशेनो में मुख्यतः तीन सरनेम प्रचलित है। मल्ल , शाही और सिंह===
===जिसमे मझौली राजघाराना(देवरिया) व मधुबन(मऊ) के विशेन आज भी मल्ल ही लिखता है। ===
विशेन वंश के पिच्चानवे शासक राजा देव मल्ल के द्वितीय पुत्र राजा माधव मल्ल ने मऊ जिले मे मधुबन की स्थापना की
व तृतीय पुत्र राय मल्ल ने गोरखपुर जिले में नरहरपुर राज्य की स्थापना की। मझौली राज्य के शासक नृप मल्ल के छोटे पुत्र राजकुमार प्रताप मल्ल ने गोंडा राज्य की स्थापना की।
गोंडा के राजा देवीबक्श सिहं १८५७ के स्वतंत्रा संग्राम के क्रंतिकारी क्रांतिदुत थे ये गोंडा राज्य के १२वे राजा थे इसके बाद उन्होने लामति अपनी राजधानी बनाई शक्ति के स्तम्भ "विशेन वंश" के प्रकाश स्तम्भ राजा देवीबक्श सिहं जी की याद में एक स्मारक भवन गोंडा मे बना हुआ है।
पूर्व बिधायक और पूर्वांचल के शान रहे स्व0 श्री बिरेन्द्र प्रताप शाही जी महुआपार बरहलगंज गोरखपुर तथा विशेन वंश के नब्बे वे शासक रघुवंश मल्ल के द्वितीय पुत्र रूप मल्ल ने प्रतापगढ जिले मे कालाकाकर राज्य की स्थापना की कालाकाकर के राजा दिनेश सिहं केन्द्रीय मंत्री रहे इनके भाई राजेन्द्र सिहं के साथ रूस के शाशक स्टालिन की पुत्री श्वेतलाना बयाही थी। हमारे वंश मे पैना निवासी अखिल भारतीय क्षत्रिय महा सभा के पूर्व अध्यक्ष श्री प्रेम प्रकाश सिंह पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश व पूर्व विधायक barhaj कुन्डा नरेश श्री रघुराज प्रताप सिंह जी(राजा भैया) हमारे बीच प्रेरणा श्रोत है। जिन्हें किसी बात में शक हो वो हमारे वंश की बुक विशेन वंश वाटिका (इस बुक के लेखक लाल खडग बहादुर मल्ल मझौली के तत्कालीन प्रिंस 1669 ईस्वी ) में देख सकता है। 1952 में बलिया गाजीपुर संयुक्त संसदीय क्षेत्र से प्रजातान्त्रिक सोशलिस्ट पार्टी से प्रथम सांसद श्री राम नगीना सिंह विशेन वंश के ही थे । हमारी संख्या पुरे भारत में 3 लाख 25 हजार के आस पास या उसके ऊपर है।
यह जानकारी विशेन वंश वाटिका विशेन वंश दर्पण अकबर ए आइनी तुजुक ए जहाँगीरी पर आधारित है। [१]
साम्राज्य[सम्पादन]
'(बलिया टेंगरही अवधेश सिंह बिशेन)
गोत्र[सम्पादन]
- वत्स
- शांडिल्य
सन्दर्भ[सम्पादन]
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=771701539657621&id=572029822958128
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