वकु-शब्द
वकु-शब्द हिंदी के युवा एवं ऊर्जावान लेखक वकील कुमार यादव द्वारा लिखित हिंदी कविताओं का संग्रह है। वकील कुमार यादव ने जिन हिंदी कविताओं को लिखी है उसे वकु-शब्द नामक पुस्तक में संग्रहित किया गया है। वकील कुमार यादव का कहना है कि
- जिस प्रकार कोई तितली लभर तितली को दबाव डालकर यह नहीं कह सकता है कि तू मेरे पास बैठ,
- जिस प्रकार कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका को दबाव डालकर प्यार के लिए राजी नहीं कर सकता ,
- उसी प्रकार कविता दबाव डालकर नहीं लिखी जा सकती हैं।
कविता शब्दों के स्वतंत्र आगमन से ही संभव है। यही कारण है कि इनकी कविताओं के संग्रह को वकु-शब्द नामक पुस्तक में संग्रहित किया गया है। अर्थात पुस्तक का नाम वकु शब्द पड़ा है।
इन की कुछ कविताएं[सम्पादन]
1. मैं हारा नहीं हूं, थका नहीं हूं।
बस थोड़ा रुक गया हूं ,
सुंदर गलियां ,शांत वातावरण में थोड़ा अपने को भूल गया हूं।
मैं हारा नहीं हूं ,थका नहीं हूं ।
छोड़ दूंगा उन गलियों को ,बड़ चलूंगा आसमान की तरफ,
तोड़ लेंगे उस तारा को जो दूर है खड़ा,
फिर आकर उन गलियों में चूम लूंगा खुशियों को ,,
इस खुशी में अपने भी देंगे शायद साथ ,
वह भी रहेंगे खुश हरदम।
मैं हारा नहीं हूं थका नहीं हूं ,
मैं जीतूंगा हरदम।
2. मुझे अब कुछ करना ही पड़ेगा ।
रात दिन अब काम में लगना ही पड़ेगा,
मुझे अपनी मंजिल को पाना ही पड़ेगा।
अब मुश्किलों की राहों को पार करना ही पड़ेगा,
बाधाओं की छाती को चीरना ना ही पड़ेगा,
अब मुझे कुछ करना ही पड़ेगा।
त्याग करता हूं अभी उन सुखों को जो आगे बढ़ने में बाधक हैं,
पहुंचना है मंजिल तक तो रास्ते बदलने ही पड़ेंगे,
चकाचौंध की दुनिया से दूर भागना ही पड़ेगा,
मुझे अब कुछ करना ही पड़ेगा।
जिंदगी मेरी है इसे मुझे ही बनाना पड़ेगा,
लक्ष्य मेरा है इसे मुझे ही पाना पड़ेगा,
आंधी तूफान घटाओं से लड़कर मुझे तेजी से अपनी मंजिल की ओर दौड़ना ही पड़ेगा,
जिंदगी मिली है तो इसे जीना ही पड़ेगा,
मुझे अब कुछ करना ही पड़ेगा।
लेखक[सम्पादन]
लेखक हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं का प्रकांड विद्वान है। अतः उन्होंने दोनों ही भाषाओं में कविताएं लिखी है। इनके द्वारा लिखित अंग्रेजी कविताओं को वकु-वर्ड नामक पुस्तक में संग्रहित किया गया है । वहीं इनके हिंदी कविताओं को वकु शब्द नामक पुस्तक में संग्रहित किया गया है।