मेजर सा. फतेहसिंह चौहान
पृष्ठभूमि[सम्पादन]
वीर प्रसूता भूमि राजस्थान का राजपूत क्षत्रिय कुल मान, मर्यादा, स्वाभिमान, धर्म, संस्कृति व कुल गौरव के लिए प्रसिद्ध रहा है। मगरांचल के राजपूतों ने कभी गुलामी स्वीकार नहीं की, न ही कभी अपने स्वाभिमान के साथ कोई समझौता किया, भले ही कठिनाई उठा ली अथवा आर्थिक रूप से जर्जर हो गए। मगरांचल के राजपूतों की वीरता, शौर्य, बहादुरी व स्वाभिमान का उज्जवल इतिहास रहा है। इसी स्वाभिमानी मगरांचल के राजपूत कुल में अग्रणीय समाज सुधारक, आदर्श राजनेता, सफल एडवोकेट एवं देशभक्त सैन्य अधिकारी रहे मेजर सा. फतेहसिंह चौहान का जन्म राजसमंद जिले की भीम तहसील के गांव नंदावट में ३ मार्च १९१३ को खुमानसिंह वरावत के घर हुआ। आपकी माता का नाम सिद्धि देवी था।
जीवन परिचय एवं प्रारम्भिक शिक्षा[सम्पादन]
मेजर सा. फतेहसिंह जी चौहान का विवाह सूबेदार इन्दरसिहं ग्राम लोटियाना की पुत्री यशोदा के साथ मई १९४० को हुआ। मेजर सा. के एक सुपुत्र लक्ष्मणसिंह व सुपुत्री राजकुमारी है। मेजर सा. फतेहसिंह चौहान ने भीम से सन् १९३२ में गवर्ननेंट हाई स्कूल से मैट्रिक तक की शिक्षा प्राप्त की। आपने ब्यावर से सन् १९३५ में इंटर मीडियेट उत्तीर्ण की तथा काॅलेज शिक्षा दिल्ली के रामजस काॅलेज से प्राप्त की।
राष्ट्र सेवा में योगदान[सम्पादन]
आपने सन् १९३९ में आगरा (उत्तरप्रदेश) से एलएलबी पास की। आपका लक्ष्य था कि अधिकारी बनकर देश की सेवा करूं। इसी भावना के अनुरूप आपने प्रयास किया और आप सन् १९३९ में बोम्बे ग्रेनेडियर्स में सैकंड लेफ्टिनेंट बननें में कामयाब हुए। उस समय आप समाज के प्रथम कमीशन अधिकारी बने जो मगरांचल के राजपूत समाज के लिए गर्व व खुशी का विषय था। आपको सन १९४१ पदोन्नति मिली और कप्तान बने, सन १९४६ में आपने मेजर के पद पर पदोन्नति प्राप्त की। इस दौरान आपने द्वितीय विश्वयुद्ध में विभिन्न जगह अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दी। सेना की सेवाओं के दौरान आपने समाज के इतिहास की जानकारी भी ली तथा समाज के चल रहे सुधार कार्यो को लेकर सभा-सम्मेलनों में शामिल होते रहे। इसी दौरान आपने समाज सेवा, समाज सुधार के कार्य को महत्वपूर्ण मानकर सन् १९४७ में सेना से सेवानिवृत्ति ले ली। इसके बाद आपने समाज का नेतृत्व अपने हाथों में लिया और समाज सुधार को एक नया मुकाम दिया। मेजर सा.को सन् १९४८ में फिर से सेना में बुला दिया गया और पूर्वी कमान में मिलिट्री इंटेलीजेंस एण्ड लायजन आॅफिसर लगाया गया। इस समय आपने असम, बंगाल, उत्तरप्रदेश व बिहार में सेवाएं दी, बाद में आपने सेना से फिर सेवानिवृति ले ली। मेजर सा. एक कुशल सैन्य अधिकारी, सिद्धांतवादी एडवोकेट, सफल समाज सुधारक, आदर्श राजनेता, ओजस्वी वक्ता व उज्जवल चरित्र के धनी रहे। समाज सदैव फतहसिंह का कृतज्ञ रहेगा। मेजर सा. फतहसिंह जी चौहान ने सामाजिक क्षेत्र में सर्वप्रथम १९४३ में राजपूत समाज के कालीकांकर सम्मेलन में शामिल हुए। इसके बाद १९४४, १९४५, १९४६ के अधिवेशनों में शरीक हुए। आपने सेना से सेवानिवृत्ति के बाद राजस्थान क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष महाराज कुमार दलजीतसिंह रियासत ईडर व अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष महाराज सा. तेजसिंह रियासत अलवर से मिले और रावत-राजपूतों की जानकारी देकर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा से यह प्रस्ताव पास कराने में सफल रहे कि "रावत-राजपूत भी राजपूत है इनसें किसी प्रकार का सामाजिक भेदभाव न रखा जावे।" इस निर्णय में ठाकुर मंगलसिंह ठिकाना खूड, कर्नल मोहनसिंह भाटी जोधपुर, कुंवर गोविन्दसिंह ठिकाना चण्डावल, कुंवर देवीसिंह ठिकाना मण्डावा, मोडसिंह राजपुरोहित ठिकाना खरवा ने पूर्ण सहयोग दिया। इसके बाद ३० अक्टूबर १९४७ को सेंदड़ा में रावत-राजपूतों व राजपूतों का संयुक्त सम्मेलन रखा जिसमें जोधपुर महाराज सा. हनुवंतसिंह मुख्य अतिथि थे तथा मेजर सा. फतहसिंह स्वागताध्यक्ष थे। सम्मेलन में राजस्थान के सैकड़ों राव, उमराव व जागीरदार भी शामिल हुए।
सामाजिक योगदान[सम्पादन]
इसके बाद वर्षों तक मेजर सा. ने मगरांचल के राजपूत समाज को नेतृत्व प्रदान किया। मेजर सा. ने समाज के सुधार व विकास के क्रम में जो निर्णय किया उसे मगरांचल के राजपूत समाज ने तत्काल शिरोधार्य किया जैसे कोई राजा का आदेश हो। इससे देखते ही देखते समाज में अभूतपूर्व सुधार आ गया।
राजनैतिक जाग्रति[सम्पादन]
मेजर फतेहसिंह समाज के राजनैतिक जाग्रति के भी जनक थे। आप पहली बार मगरांचल स्टेट में सन १९५४ में गगवाना से विधायक रहे बाद में सन १९५७ में भीम देवगढ़, सन १९६७ में ब्यावर व सन १९७७ में भीम देवगढ़ से विधायक रहे। मेजर सा. ने मगरांचल के राजपूत समाज में शिक्षा की भी अलख जगाई। आज समाज जिस उन्नत रूप में देखा जा रहा है, इसमें मेजर सा. का बड़ा योगदान रहा है।
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सन्दर्भ[सम्पादन]
https://www.bhaskar.com/rajasthan/rajsamand/news/rajasthan-news-major-fateh-singh-rawat39s-death-anniversary-080505-4777841.html https://www.bhaskar.com/news/c-17-38287-2936275.html
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