बाईस प्रतिज्ञाएँ
बाईस प्रतिज्ञाएँ भीमराव आम्बेडकर द्वारा निर्धारित बौद्ध प्रतिज्ञाएँ हैं, जो उन्होंने बौद्ध धम्म की दीक्षा ग्रहण करने के अवसर पर, 14 अक्टूबर 1956 को अपने धर्म परिवर्तित बौद्ध अनुयायियों के लिए निर्धारित की थी।[१] यह प्रतिज्ञाएँ हिन्दू धर्म के बंधनों को पूरी तरह पृथक करती हैं, तथा बौद्ध धर्म के सिद्धातों व शिक्षाओं का पुरी तरह से अपनाती हैं।[२] यह प्रतिज्ञाएँ मानवीय प्रवृत्ति को सत्प्रवृत्त करनेवाली सामाजिक क्रांति की दीशा दिग्दर्शक हैं।[३] भारत में बौद्ध धर्म का स्विकार करते समय व्यक्ती तथा व्यक्ती-समूदायोंद्वारा यह प्रतिज्ञाएँ शपथों के रूप में ली जाती हैं। इन्हें बौद्ध प्रतिज्ञाएँ तथा आम्बेडकर प्रतिज्ञाएँ भी कहां जाता हैं।[४]
प्रतिज्ञाएँ[सम्पादन]
- मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा।
- मैं राम और कृष्ण, जो ईश्वर के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा।
- मैं गौरी, गणपति और हिन्दुओं के अन्य किसी भी देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा।
- मैं ईश्वर के अवतार में विश्वास नहीं करता हूँ।
- मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे। मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ।
- मैं श्रद्धा (श्राद्ध) में भाग नहीं लूँगा और न ही पिंड-दान दूँगा।
- मैं बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों का उल्लंघन करने वाले तरीके से कार्य नहीं करूँगा।
- मैं ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह को स्वीकार नहीं करूँगा।
- मैं मनुष्य की समानता में विश्वास करता हूँ।
- मैं समानता स्थापित करने का प्रयास करूँगा।
- मैं बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का अनुशरण करूँगा।
- मैं बुद्ध द्वारा निर्धारित पारमिताओं का पालन करूँगा।
- मैं सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और प्यार भरी दयालुता रखूँगा तथा उनकी रक्षा करूँगा।
- मैं चोरी नहीं करूँगा।
- मैं झूठ नहीं बोलूँगा।
- मैं कामुक पापों को नहीं करूँगा।
- मैं शराब, ड्रग्ज् जैसे मादक पदार्थों का सेवन नहीं करूँगा।
- मैं महान आष्टांगिक मार्ग के पालन का प्रयास करूँगा एवं सहानुभूति और प्यार भरी दयालुता का दैनिक जीवन में अभ्यास करूँगा।
- मैं हिन्दू धर्म का त्याग करता हूँ जो मानवता के लिए हानिकारक है और उन्नति और मानवता के विकास में बाधक है क्योंकि यह असमानता पर आधारित है, और स्व-धर्मं के रूप में बौद्ध धर्म को अपनाता हूँ।
- मैं दृढ़ता के साथ यह विश्वास करता हूँ की बुद्ध का धम्म ही सच्चा धर्म है।
- मुझे विश्वास है कि मैं फिर से जन्म ले रहा हूँ (इस धर्म परिवर्तन के द्वारा)।
- मैं गंभीरता एवं दृढ़ता के साथ घोषित करता हूँ कि मैं इसके (धर्म परिवर्तन के) बाद अपने जीवन का बुद्ध के सिद्धांतों व शिक्षाओं एवं उनके धम्म के अनुसार मार्गदर्शन करूँगा।
सामान्यतः सभी नवयानी बौद्ध (आम्बेडकरवादी या नवबौद्ध) इन प्रतिज्ञाओं का पालन करते हैं। यह प्रतिज्ञाएँ बौद्ध धम्म का सार है, उसमें पंचशील, आर्य अष्टांगिक मार्ग व दस पारमिता सम्मिलीत हैं।यह बाईस प्रतिज्ञाएँ आम्बेडकर की आज्ञाएँ नहीं हैं। आम्बेडकर की प्रतिज्ञाएँ आवाहन स्वरूप के सूचनांओं जैसी हैं। इन प्रतिज्ञाएँ का पालन करने के लिए वह कठोर सक्त ताकीद नहीं देते या कठोर भाषा का प्रयोग नहीं करते।
स्तम्भ[सम्पादन]
बाईस प्रतिज्ञाओं के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए 'डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर स्मारक समिती, दीक्षाभूमी' के तत्कालीन अध्यक्ष एवं बिहार व केरल के भूतपूर्व राज्यपाल रा॰ सु॰ गवई और संस्था के सचिव सदानंद फुलझडे इन्होंने दीक्षाभूमी पर यह बाईस प्रतिज्ञा भव्य संगमरवरी पत्थरोपर खुदवाकर वह स्तंभ स्तूप के प्रथमदर्शनी रखा गया हैं। वर्धा के बुद्ध विहार में भी डॉ॰ म॰ ल॰ कासारे के नेतृत्व में इसी प्रकार का भव्य स्तंभ खडा किया गया हैं।[९]
उच्चारण पद्धति[सम्पादन]
बाबासाहब आम्बेडकर ने अनुयायीयों को बौद्ध धम्म की दीक्षा देते समय इस बाईस प्रतिज्ञाओं का आयोजन किया था। यह प्रतिज्ञाएँ लेते समय यानी उनका उच्चारण करते समय अनुया सश्रद्ध भावना से हात जोडकर त्रिशरण व पंचशील का उसके बाद उच्चारण आँखे बंद समय होता हैं। बौद्ध लोग आँखों को बंद कर श्रद्धा से उन बाईस प्रतिज्ञाओं को ग्रहण कर पुनः उच्चारण करत हैं, तब उस वचनों को प्रार्थना का स्वरूप प्राप्त होता हैं।[१०]
इन्हें भी देखें[सम्पादन]
सन्दर्भ[सम्पादन]
- ↑ जाने कैसे बाबा साहेब ने बुद्ध के तीन सूत्रों को लोकप्रिय नारों में बदल दिया
- ↑ https://abpnews.abplive.in/india-news/know-what-22-vows-taken-by-rohit-vemula-family-2-357569
- ↑ साँचा:स्रोत बातमी
- ↑ साँचा:संकेतस्थळ स्रोत
- ↑ १४ ऑक्टोबर १९५६ रोजी बाबासाहेबांनी दिलेले भाषण
- ↑ साँचा:स्रोत बातमी
- ↑ साँचा:स्रोत बातमी
- ↑ साँचा:संकेतस्थळ स्रोत
- ↑ https://www.loksatta.com/daily/20090207/navneet.htm
- ↑ https://drambedkarbooks.com/2011/04/18/%E0%A4%A1%E0%A4%BE-%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%95%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%80-22-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE/
बाहरी कड़ियाँ[सम्पादन]
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